विशेषज्ञ बोले: हो सकता फायदा, आसानी से लग सकता है बगीचा
जिले में भूजल स्तर गहरा होने के कारण भूमि क्षारीय होने के साथ पानी का पीएच भी बढ़ रहा है। ऐसे में यहां की जलवायु खजूर की खेती के लिए अनुकूल है। इससे अंचल का किसान आसानी से खजूर का बगीचा लगा सकता है। एक्सपर्टस के अनुसार खजूर वहां पनपता है जहां पर नमी न हो। खजूर के पौधे की सिंचाई अधिक पीएच वाले पानी के जरिए की जाती है। अन्य फलों के बगीचों के लिए पानी की गुणवत्ता मायने रखती है। प्रदेश में नमी वाले वातावरण में खजूर का पौधा फंगस के कारण नष्ट हो जाता है। यही कारण है कि खाड़ी देशों में खारा पानी होने के बावजूद वहां का खजूर गुणवत्ता में सर्वश्रेष्ठ होता है। खजूर के पेड़ों पर फरवरी-मार्च में फूल आते हैं। इसके बाद मानसून के समय इनमें फल आ जाते हैं।
इनका कहना है
खजूर की खेती के आवेदन करने वालों ने बरई और खुनैजी किस्म के पौधों की डिमांड की है लेकिन जयपुर निदेशालय में इन नस्लों के पौधे नहीं मिल रहे हैं। इसके कारण परेशानी आ रही है। मोहनलाल, उपनिदेशक उद्यान, सीकर