परिवहन में लेटलतीफी बनी वजह
जानकारी के अनुसार खरीदी केंद्रों से वेयरहाउस तक गेहूं के परिवहन में विलंब होने के कारण किसानों का भुगतान अटका हुआ है। वेयरहाउसों में गेहूं जमा न होने से स्वीकृती पत्र नहीं बनाए गए और किसानों को पैसा नहीं मिला। हालांकि अफसरों का दावा है कि 2500 से अधिक स्वीकृती पत्रक बनाए गए है, जिसके माध्यम से दो-तीन दिनों में भुगतान हो जाएगा। खनिज नियमों की अनदेखी: रिफैक्ट्रीज में बगैर अनुज्ञप्ति के खनिज भंडारण, सामने गंभीर मनमानी
गेहूं उपार्जन में बहोरीबंद रहा अव्वल
गेहूं खरीदी के मामले में बहोरीबंद तहसील अग्रणी रहा। यहां इस वर्ष 5115 कृषकों से 34 हजार 523 मीट्रिक टन गेहूं उपार्जित किया गया। गेहूं उपार्जन के मामले में ढीमरखेड़ा तहसील दूसरे स्थान पर रहा। जहां 4767 किसानों से 28 हजार 787 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया। वहीं तीसरे स्थान पर जिले की विजयराघवगढ़ तहसील रही। जहां 2884 किसानों ने 20 हजार 699 मीट्रिक टन गेहूं की बिक्री की। इसी प्रकार स्लीमनाबाद तहसील गेहूं खरीदी के मामले में जिले में चौथे स्थान पर रहा। जहां 2002 किसानों ने 15 हजार 14 मीट्रिक टन गेहूं की बिक्री की है। इसके अलावा रीठी तहसील जिले में पांचवे स्थान पर रहा। जहां के 1819 किसानों ने 11 हजार 148 मीट्रिक टन गेहूं की बिक्री की वहीं कटनी ग्रामीण एवं कटनी नगर संयुक्त रूप से छठवें स्थान पर रहा। जहां 1500 किसानों ने 10 हजार 792 मीट्रिक टन गेहूं की बिक्री की। जबकि बड़वारा तहसील सातवें पायदान पर रही। जहां इस वर्ष 1520 किसानों ने 9 हजार 239 मीट्रिक टन गेहूं की बिक्री की। बरही तहसील के 1554 किसानों ने 9 हजार 178 मीट्रिक टन गेहूं की बिक्री किया है। इस प्रकार बरही गेहूं उपार्जन के मामले में जिले में अंतिम पायदान पर रहा।
इनका कहना है
सज्जन ङ्क्षसह परिहार, जिला आपूर्ति अधिकारी का कहना है कि परिवहन में विलंब होने की वजह से स्वीकृती पत्रक हाल ही में बनाए गए हैं। 2500 से अधिक किसानों को दो-तीन दिन में भुगतान कर दिया जाएगा। इसके अलावा करीब 500 क्विंटल शोर्टज भी है, जिसकी राशि समितियों से ली जाएगी।