सतना। परसमनिया पठार में फर्जी वनाधिकार पट्टे बनाए जाने की पत्रिका की खबर पर मुहर लग गई है। 21 अप्रेल 2023 को किए गए खुलासे की जांच पूरी होने पर पाया गया कि यहां हस्ताक्षर स्कैन कर कलर फोटोकॉपी के जरिए वनाधिकार पट्टे जारी किए जा रहे थे। यह खेल जिला संयोजक आजाक कार्यालय से ही हो रहा था। इसमें तत्कालीन जिला संयोजक आजाक अविनाश पाण्डेय, तत्कालीन शाखा प्रभारी उग्रसेन चतुर्वेदी की महती भूमिका थी। इसके अलावा ग्राम स्तरीय समिति के सरपंच, सचिव के भी हस्ताक्षर संदिग्ध पाए गए हैं। एसडीएम द्वारा प्रस्तुत की गई जांच रिपोर्ट के बाद कलेक्टर ने मामले में एफआईआर के आदेश जारी कर दिए हैं।
परसमनिया क्षेत्र में जारी किए गए वनाधिकार पट्टों के विश्लेषण पर पत्रिका ने पाया था कि यहां पर बड़े पैमाने पर सामान्य वर्ग के लोगों को भी आदिवासी बताकर वनाधिकार के पट्टे बांट दिए गए हैं। मामले की जांच एसडीएम उचेहरा द्वारा की गई। जिसमें पाया गया कि स्वामीदीन गड़ारी, हरीराम गुप्ता, शारदा यादव, संतोष गड़ारी, शंकर गुप्ता, राजललन यादव वन अधिकार के दावे के लिए पात्रता नहीं रखते हैं। इतना ही नहीं प्राथमिक रूप से ये लोग वन या वन भूमि पर निवासरत भी नहीं हैं।
कलेक्टर-डीएफओ के हस्ताक्षर स्कैन किए जांच में पाया गया कि इन लोगों के नाम पर जारी वनाधिकार पट्टों में जिला स्तरीय समिति के हस्ताक्षर स्कैन कर कलर फोटो कॉपी का इस्तेमाल किया गया है। अर्थात इन अपात्र लोगों को वनाधिकार पट्टा जारी करने के लिए कलेक्टर और डीएफओ के स्कैन हस्ताक्षर इस्तेमाल किए गए। इतना ही नहीं इनके प्रकरणों की नस्तियों की जांच में ग्राम स्तरीय समिति के सदस्य एवं सरपंच, सचिव के हस्ताक्षर भी संदिग्ध पाए गए हैं।
11 मामले संदिग्ध वनाधिकार पट्टों की नस्तियों में 11 प्रकरण संदिग्ध पाए गए हैं। अभी 6 की जांच पूरी हो चुकी है। दरअसल कलेक्टर सतीश कुमार एस इस मामले को अपनी व्यक्तिगत निगरानी में लेते हुए जांच करवा रहे हैं। प्राथमिक तौर पर 6 मामले में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद उन्होंने इसके दोषी पाए जा रहे तत्कालीन जिला संयोजक आजाक अविनाश पाण्डेय और तत्कालीन शाखा लिपिक उग्रसेन चतुर्वेदी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश जिला संयोजक आजाक को दिए हैं।
खेतों में तब्दील हो गए जंगल परसमनिया पठार कभी घने जंगलों के लिए जाना जाता था। लेकिन जब से यहां फर्जी वनाधिकार पट्टों का खेल शुरू हुआ है यहां जंगल का बड़ा भू-भाग साफ हो गया है। हुआ यह है कि जिस जमीन पर लोगों को वनाधिकार पट्टा मिल गया उसके अगल बगल की जमीनों पर लोगों ने पेड़ काट कर खेतों में तब्दील कर दिया। परसमनिया क्षेत्र के सभी वनाधिकार पट्टों की विस्तृत जांच की जाए और इससे लगी जमीन की जांच हो तो और बड़े खेल सामने आ जाएंगे।
“जिन प्रकरणों में फर्जीवाड़ा पाया गया है उन हितग्राहियों को जारी किए गए हक प्रमाण पत्र शून्य घोषित करते हुए जिला संयोजक को दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। एफआइआर की प्रक्रिया जारी है।” – डॉ सतीश कुमार एस, कलेक्टर
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