अलीगढ़ से ताल्लुक रखने वाले गौरव ने अपने सफर की शुरुआत मात्र 14 वर्ष की उम्र में की थी, जब वे प्रतिदिन दस रुपये कमाते थे। आज वे युगांडा में एक ऐसी कंपनी के प्रमुख हैं, जिसमें 1,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। उन्होंने समाज के उपेक्षित वर्गों के लिए आर्थिक बदलाव की नई राहें खोल दी हैं। गौरव बताते है कि नेतृत्व शैली आत्मिक और संतुलित होनी चाहिए। उनका दिन लंबी सैर, रणनीतिक निर्णय, आध्यात्मिक चिंतन और करीबी मित्रों के साथ सार्थक संवाद में व्यतीत होता है। उनके जीवन में केवल कार्य ही नहीं, बल्कि जीवन का गहराई से अनुभव करने की भावना भी समाहित है।
उन्हें मार्गदर्शन मिला उनके गुरु सुमित लूथरा से, जिनकी मदद से उन्होंने अपनी दृष्टि को विस्तार दिया और एक सशक्त नेटवर्क खड़ा किया। वे एलन मस्क की नवाचार पर आधारित सोच से भी प्रेरणा लेते हैं। गौरव अपने निर्णयों में विवेक और अंतर्ज्ञान का संतुलन रखते हैं, और हमेशा ऐसे कार्यों को प्राथमिकता देते हैं जिनका दीर्घकालिक सामाजिक प्रभाव हो।
समाज में बदलाव लाने की है चाहत
माइक्रोफाइनेंस के क्षेत्र से परे, गौरव अब कलाकारों, चिंतकों और सामाजिक बदलाव लाने वाले लोगों के साथ सहयोग की दिशा में अग्रसर हैं। वे विभिन्न विधाओं के संगम में नई संभावनाएं देखते हैं और स्वयं को लगातार सीखने, विकसित होने और समाज के लिए योगदान देने के मार्ग पर बनाए हुए हैं।