स्थानीय निवासी ने बताया कि, ‘यहां पाइप न केवल पुराने हैं, बल्कि उन्हें सालों से साफ भी नहीं किया गया है। पाइप के जाम होने से गैस जमा हो सकती है, जो दबाव में फट सकती है।’ रसायन विज्ञान के प्रोफेसर ने भी अपनी यही बात रखी कि मीथेन वास्तव में सीवर लाइनों और सीमित बाथरूम स्थानों में जमा हो सकती है, खासकर जहां वेंटिलेशन खराब है या नालियां अवरुद्ध हैं।
टायलेट सीट में धमाका होने के कारण
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टायलेट सीट में धमाका होने की वजह संभवत: मीथेन गैस हो सकती है। क्योंकि टायलेट या कचरे वगैरह में मीथेन गैस का निर्माण होता है। लेकिन, अक्सर यह तब होता है जब टायलेट के पाइप में किसी वजह से गंदगी जमी हो या वह ठीक तरह से न चल रहा हो। पाइप में गंदगी इकट्ठा होने की वजह से फ्लश करते ही यह धमाका हुआ हो। फ्लश करते ही पानी के दबाव की वजह से मीथेन गैस ऊपर आई हो और शार्ट सर्किट की वजह से ब्लास्ट हो सकता है। जैसे कि बाथरूम में किसी स्विच से चिंगारी निकली हो या फिर एसी यूनिट की वजह से आग पकड़ी हो और वेस्टर्न सीट में ब्लास्ट हुआ हो और छात्र ब्लास्ट में झुलस गया। लेकिन, कहीं न कहीं यह सवाल भी उठता है कि ब्लास्ट होने के लिए बहुत ही अधिक मात्रा में मीथेन गैस इकट्ठा होना जरूरी है।
इसका एक जवाब यह है कि टॉयलेट का पाइप या तो जाम था, या फिर कहीं से लीक हो रहा था. ऐसे में मीथेन गैस टॉयलेट में इकट्ठा हो गई इसलिए धमाका हुआ. इन बातों की हलांकि अभी पुष्टि नहीं की जा सकती। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने IIT के एक्सपर्ट्स से जांच कराने का फैसला किया है और उसके बाद ही असली कारण का पता लगाया जा सकेगा.
क्या कर सकते हैं बचाव
इन हादसों को रोकने के लिए कुछ जरूरी उपाय अपनाएं जा सकते हैं, जिससे कि यह हादसे न हों। सबसे पहले टायलेट को साफ रखें, टायलेट में वेंटिलेशन की पर्याप्त व्यवस्था हो, टायलेट में बिजली के उपकरणों के स्विच सीट से दूर लगे हों, अगर कहीं रुकावट या लीकेज है तो उसे तुरंत ठीक करवाएं. पुराने घरों में वेंट पाइप होते थे जो मीथेन गैस को बाहर निकालते थे. अगर आपके घर या फ्लैट में ऐसा कोई पाइप नहीं है तो प्लंबर से संपर्क करके एक पाइप लगवाएं.
अगर बाथरूम में गीजर या कोई इलेक्ट्रिक डिवाइस है तो उसे नियमित चेक करवाएं. हालांकि बेहतर होगा कि आप टॉयलेट में कोई बिजली का स्विच या उपकरण रखें ही ना.