सडक़ पर जीवन गुजार रही मंजू और कविता को मिला मुकाम…अब शिवपुरी का पुनर्वास केंद्र नया ठिकाना


- 25 साल की मंजू मानसिक दिव्यांग है, 45 साल की कविता माता-पिता की मृत्यु के बाद फुटपाथ पर रहने को मजबूर थी,
भोपाल.
सडक़- फुटपाथ पर भीख मांगकर जीवन यावन करने वाली 25 वर्षीय मंजू व 45 वर्षीय कविता को अब नया ठिकाना मिल गया है। अब उन्हें बारिश, गर्मी, सर्दी के सख्त मौसम की मार भी नहीं पड़ेगी। जिला प्रशासन, सामाजिक न्याय विभाग व पुलिस प्रशासन के साथ सामाजिक संगठनों ने इन महिलाओं को बुधवार को शिवपुरी के महिला पुनर्वास केंद्र भेज दिया गया। सामाजिक कार्यकर्ता मोहन सोनी के अनुसार देर शाम को टीम इन्हें पुनर्वास केंद्र छोडक़र लौटी। पुलिस के आशा अभियान के तहत इन महिलाओं को चिन्हित कर प्रशासन व सामाजिक न्याय विभाग से आदेश पारित करवाकर भेजा गया। एक महिला का लंबे समय से इलाज भी चल रहा था। जिले में इस समय करीब 32 मामले प्रक्रिया में है। जैसे आदेश होंगे, पुनर्वास किया जाएगा। - ऐसे समझे स्थिति
- 25 वर्षीय मंजू…इलाज से सुधार के बाद पुनर्वास
- 25 वर्षीय मंजू का घर परिवार नहीं है। हमीदिया अस्पताल में मानसिक रोग विशेषज्ञ से इलाज हुआ। स्थिति में सुधार होने पर पुलिस के आशा अभियान के तहत सामाजिक न्याय की ओर से महिला को शिवपुरी महिला आश्रम भेजकर पुनर्वास किया गया।
- इदगाह हिल्स पर लावारिस घुमती थी, अब पुनर्वास
- 45 वर्षीय कविता ईदगाह हिल्स पर माता पिता के साथ रहती थी। माता पिता के गुजरने के बाद वह सडक़ पर आ गई। दिनभर सडक़ फुटपाथ पर घुमती। जो कुछ खाने को देता उससे ही गुजारा करती। इसे भी आशा अभियान के तहत शिवपुरी महिला पुनर्वास केंद्र भेजा गया।
- कोट्स
- तय नियमों के अनुसार प्रकरण पर आदेश होते हैं और फिर पुनर्वास की प्रक्रिया की जाती है। हमारी कार्रवाई लगातार जारी है।
- – आरके सिंह, संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय विभाग
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