संजय टाइगर रिजर्व में बाघिन की मौत का कारण अभी नहीं हुआ स्पष्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार
10 दिन पहले आई मेहमान बाघिन का वन परिक्षेत्र माड़ा के रौंदी जंगल में मिला था शव सिंगरौली. शहडोल जिले के अमरकंटक से जिस बाघिन को दस दिन पहले रेस्क्यू कर संजय टाइगर रिजर्व सीधी के जंगलों में छोड़ा गया था। उसकी संदिग्ध मौत हो गई। बाघिन का शव सिंगरौली जिले के वन परिक्षेत्र माड़ा […]
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10 दिन पहले आई मेहमान बाघिन का वन परिक्षेत्र माड़ा के रौंदी जंगल में मिला था शव
10 दिन पहले आई मेहमान बाघिन का वन परिक्षेत्र माड़ा के रौंदी जंगल में मिला था शव सिंगरौली. शहडोल जिले के अमरकंटक से जिस बाघिन को दस दिन पहले रेस्क्यू कर संजय टाइगर रिजर्व सीधी के जंगलों में छोड़ा गया था। उसकी संदिग्ध मौत हो गई। बाघिन का शव सिंगरौली जिले के वन परिक्षेत्र माड़ा बीट के रौंदी जंगल में सोमवार की देर शाम मिला। बाघिन की मौत का कारण फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पाया है। मंगलवार को घटना स्थल के पास ही बाघिन का पोस्टमार्टम कराने के बाद वन अमले ने अंतिम संस्कार किया है।
अंतिम संस्कार कर जांच में जुटा वन विभाग
बता दें कि अमरकंटक से रेस्क्यू करने के बाद बीते 31 जनवरी की रात करीब 11 बजे इस मेहमान बाघिन को संजय टाईगर रिजर्व एरिया के वन परिक्षेत्र भुईमाड़ के बफर जोन अंतर्गत बेंदो के जंगल में वन अमले की उपस्थिति में पिंजरे से आजाद किया गया था। बाघिन छत्तीसगढ़ राज्य से आकर शहडोल जिले के अमरकंटक और डिंडोरी के करंजिया परिक्षेत्र में विचरण कर रही थी। वह जंगल से लगे गांवों में पहुंचकर पालतू मवेशियों का शिकार कर रही थी।
बांधवगढ़ के दो प्रशिक्षित हाथियों की मदद से ट्रेंकुलाइज किया था
अमरकंटक में श्रद्धालुओं की आवाजाही तथा नर्मदा जयंती के दौरान भारी भीड़ जुटने के कारण सुरक्षा के मद्देनजर बाघिन को ट्रेंकुलाइज करने के लिए वन मुख्यालय भोपाल से अनुमति मिलने के बाद संजय टाईगर रिजर्व, वन विभाग अनूपपुर और सामान्य वन परिक्षेत्र पूर्व करंजिया की टीम ने बांधवगढ़ के दो प्रशिक्षित हाथियों की मदद से ट्रेंकुलाइज किया था। करीब पांच वर्ष की इस बाघिन का डॉक्टरों की टीम द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण के बाद संजय टाईगर रिजर्व सीधी के जंगल में छोड़ा गया था।
कई दिन से सिंगरौली जिले में था मूवमेंट
बाघिन के कॉलर आईडी भी लगी थीए जिससे उसके मूवमेंट का पता संजय टाइगर रिजर्व के अमले को था। वह बीते चार पांच दिनों से संजय टाइगर भूईमाड़ रेंज से क्रॉस कर सिंगरौली जिले के माड़ा परिक्षेत्र के डोंगरी व लंघाडोल क्षेत्र में विचरण कर रही थी। सूचना के बाद वन रेंजर माड़ा 5 अलग-अलग दल गठित कर सभी परिक्षेत्र सहायकों को प्रभारी बनाते हुए रेंज स्तर पर मॉनिटरिंग करने में लगे थे। संजय टाइगर रिजर्व की टीम भी संयुक्त रूप से ट्रैकिंग और गश्ती करते हुए नजर रख रही है।
तीन दिन से नहीं मिल रहा था लोकेशन
बाघिन के मूवमेंट से वन अमला सतर्क था। आस पास के गांवों में मुनादी कराकर लोगों को अलर्ट किया गया था। रेडियो कॉलर के आधार पर तीन दिन पहले बाघिन का अंतिम लोकेशन रौंदी के जंगल में मिला था। उसके बाद बाघिन का कोई मूवमेंट न होने से वन अमला सकते में आ गया और बीट रौंदी के जंगल में तलाश शुरू की गई। सोमवार की देर शाम उसका शव मिला।
पीएम रिपोर्ट से पता चलेगा मौत का कारण
मृत बाघिन के शरीर में कोई चोट के निशान नहीं मिले हैं। न ही प्रथम दृष्ट्या उसकी हत्या करने के कोई साक्ष्य सामने आए हैं। बाघिन की मौत कैसे हुई यह पीएम रिपोर्ट आने पर ही स्पष्ट हो पाएगा। फिलहाल सिंगरौली जिले के वन विभाग की टीम हमारे साथ संयुक्त रूप से जांच कर रही है। बाघिन का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। अमित कुमार दुबे, सीसीएफ संजय टाइगर रिजर्व सीधी
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