सम्पादकीय : वैश्विक आतंक के खिलाफ अमरीका की दोहरी नीति
पाकिस्तान में खुलेआम रैली कर रहे लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर सैफुल्लाह कसूरी की सार्वजनिक उपस्थिति और पहलगाम हमले पर उसकी स्वीकारोक्ति को भी इसी नजरिये से देखे जाने की जरूरत है। इस पृष्ठभूमि में एक और बात उतनी ही महत्वपूर्ण है- आतंक के खिलाफ अमरीका की दोहरी कूटनीति।


भारत सरकार ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंक से निपटने की नीति में बदलाव लाकर इस लड़ाई को नई दिशा दे दी है। अब घर में घुसकर आतंकियों का सफाया करना ‘न्यू नॉर्मल’ मान लिया गया है। इस ‘न्यू नॉर्मल’ को दुनिया न सिर्फ स्वीकार करें बल्कि सहयोग भी दे, इसके लिए प्रतिनिधिमंडल भेजे जा रहे हैं। दूसरी तरफ, पाकिस्तान, आतंकियों और उनकी हरकतों को राजनीति की मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रहा है। पाकिस्तान के सियासी नेताओं और सैन्य अफसरों के भारतीय हमले में मारे गए आतंकियों के अंतिम संस्कार में सार्वजनिक रूप से नजर आना यही बताता है कि अब आतंकियों का खुल्लम-खुल्ला इस्तेमाल होने वाला है। पाकिस्तान में खुलेआम रैली कर रहे लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर सैफुल्लाह कसूरी की सार्वजनिक उपस्थिति और पहलगाम हमले पर उसकी स्वीकारोक्ति को भी इसी नजरिये से देखे जाने की जरूरत है। इस पृष्ठभूमि में एक और बात उतनी ही महत्वपूर्ण है- आतंक के खिलाफ अमरीका की दोहरी कूटनीति।
वैश्विक आतंक के खिलाफ लड़ाई में स्वयंभू अगुवा बने अमरीका की नीति पाकिस्तान को लेकर भी हमेशा से लचीली रही है। पिछले सात दशक में यह बार-बार साबित हुआ है कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पाकिस्तान से अमरीका के रिश्ते अडिग रहे हैं। वह दशकों से पाकिस्तान को दक्षिण एशिया और मध्य-पूर्व के बीच रणनीतिक सहयोगी के रूप में इस्तेमाल करता है। उसे आतंक को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों से भी परहेज नहीं रहा है। पिछले दिन पाकिस्तान के मंत्रियों ने टीवी कैमरों के सामने यह स्वीकार किया था। पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के बीच भी पाकिस्तान को आइएमएफ से आर्थिक मदद दिलाने में अमरीका ने अहम भूमिका निभाई है। वैसे भी भारत मेंआतंकी हमलों पर अमरीकी सरकार की प्रतिक्रिया निंदा करने तक सीमित रही है। वजह भी अमरीका की दोहरी कूटनीति ही है। दरअसल, अमरीका की नीति भू-राजनीतिक अवसरवाद पर आधारित है। वह एक तरफ भारत की बढ़ती आर्थिक हैसियत का व्यापार में फायदा उठाना चाहता है तो दूसरी तरफ भारत और चीन के बढ़ते वैश्विक कद को कमतर करने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल भी करना चाहता है। यह दोहरा और परस्पर विपरीत बर्ताव अमरीका के लिए ‘नॉर्मल’ है। पाकिस्तान ने पहलगाम में आतंकी हमले कराने के लिए उस समय का चयन किया जब अमरीकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत की यात्रा पर थे। वेंस ने भी हमले और उसके बाद की प्रतिक्रियाओं में पीडि़तों के प्रति संवेदना व्यक्त कर ही पल्ला झाड़ लिया। अब समय है जब भारत अमरीका के इस दोहरे रवैये को वैश्विक मंच पर चुनौती देते हुए अपनी विदेश नीति में आत्मनिर्भरता और स्पष्टता का परिचय दे। आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई किसी रणनीतिक संतुलन की मोहताज होने के बजाए मानवता के पक्ष में निष्ठावान संकल्प होना चाहिए।
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