कोर्ट ने दवा कंपनियों की अनैतिक मार्केटिंग पर तत्काल रोक लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की आवश्यकता पर बल दिया। कोर्ट की यह टिप्पणी स्वास्थ्य क्षेत्र की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है। यहीं नहीं, आम जनता को सस्ती और सुलभ दवाओं का भी मार्ग प्रशस्त हो सकता है। भारत में दवा उद्योग एक विशाल और जटिल क्षेत्र है, जहां दवा कंपनियां अक्सर अपने मुनाफे को बढ़ाने के लिए अनैतिक तरीकों का सहारा लेती हैं। ये कंपनियां डॉक्टरों को मुफ्त उपहार, विदेश यात्राएं, महंगे रात्रिभोज और अन्य प्रलोभन देकर अपनी ब्रांडेड दवाओं को प्रचारित करने के लिए प्रेरित करती हैं। नतीजतन, डॉक्टर कई बार मरीजों को ऐसी दवाएं लिखते हैं, जो न केवल महंगी होती हैं, बल्कि कई बार अनावश्यक भी होती हैं। इसका सीधा असर मरीजों की जेब और स्वास्थ्य पर पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर मुद्दे को संज्ञान में लेते हुए एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिसमें दवा कंपनियों की अनैतिक प्रथाओं को नियंत्रित करने के लिए यूनिफॉर्म कोड ऑफ फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज को कानूनी रूप देने की मांग की गई थी। जेनेरिक दवाएं, जो ब्रांडेड दवाओं का सस्ता विकल्प होती हैं, वही सक्रिय तत्व (एक्टिव इंग्रेडिएंट) रखती हैं और उतनी ही प्रभावी होती हैं। फिर भी, इनका उपयोग भारत में अपेक्षाकृत कम है, क्योंकि डॉक्टरों पर कोई बाध्यकारी कानून नहीं है। हालांकि, भारतीय मेडिकल काउंसिल ने डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, लेकिन ये बाध्यकारी नहीं, एक स्वैच्छिक संहिता है, जिसका पालन दवा कंपनियां अपनी मर्जी से करती हैं।
केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है, लेकिन इसकी अनुशंसाएं अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई हैं। दवा कंपनियों की अनैतिक प्रथाएं केवल आर्थिक शोषण तक सीमित नहीं हैं, ये मरीजों के स्वास्थ्य और जान को भी खतरे में डालती हैं। महंगी दवाओं के प्रचार के कारण कई बार गरीब मरीज इलाज से वंचित रह जाते हैं। यदि जेनेरिक दवाओं को अनिवार्य किया जाए, तो न केवल दवाओं की कीमतें कम होंगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाएं भी अधिक समावेशी और सुलभ बनेंगी। इसके अलावा, यह कदम दवा कंपनियों और डॉक्टरों के बीच अनैतिक गठजोड़ को तोडऩे में भी मदद करेगा।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी सरकार और नीति निर्माताओं के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार अब और टाला नहीं जा सकता। यह न केवल आम जनता के हित में होगा, बल्कि लाखों लोगों की जिंदगी बचाने में भी योगदान देगा।