scriptHanuman Jayanti: हनुमान चालीसा दिव्य उपहार, भगवान के धाम की कराता है यात्रा | Hanuman Jayanti_Hanuman Chalisa is a divine gift, it makes you travel to the abode of God | Patrika News
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Hanuman Jayanti: हनुमान चालीसा दिव्य उपहार, भगवान के धाम की कराता है यात्रा

हनुमान चालीसा परमभागवत तुलसीदास महाभाग ने लिखी है। पहले उनके बारे में समझिए, वह कौन थे? एक प्रसंग सुनाता हूं। साधुओं में एक भाषा चलती है कि आपने कितनी नौका भर ली अर्थात आपने कितने जप किए। एक नौका भरने का मतलब है करीब एक अरब भगवान नाम का जप।

जयपुरApr 11, 2025 / 05:45 pm

Jyoti Kumar

Hanumaan Jayanti

Hanumaan Jayanti 2025

Hanuman Jayanti 2025: हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) परमभागवत तुलसीदास महाभाग ने लिखी है। पहले उनके बारे में समझिए, वह कौन थे? एक प्रसंग सुनाता हूं। साधुओं में एक भाषा चलती है कि आपने कितनी नौका भर ली अर्थात आपने कितने जप किए। एक नौका भरने का मतलब है करीब एक अरब भगवान नाम का जप। तुलसीदास जी ने ऐसी नौ नौकाएं भरीं यानी नौ अरब नाम का जप किया, इतने जप के बाद समझिए उनकी चेतना कहां पहुंच गई होगी। उन्हें हनुमान जी और शंकर भगवान का प्रत्यक्ष दर्शन हुए थे। उसके बाद श्री सीता-राम और लक्षमण का दर्शन हुआ। यानी सगुण साकार ब्रह्म का दर्शन प्राप्त हुआ। तुलसीदास देवता के समान हैं। उनके मुंह से निकला एक-एक शब्द मंत्र है। जो लिखा वह मंत्र है।
हनुमान चालीसा उनका एक दिव्य अनुपम उपहार है, जिसके सहारे भक्त भगवान के धाम तक की यात्रा को सहजता से तय कर लेता है। यह चित्त शुद्धि का सबसे सरल और सबसे उत्कृष्ठ साधन है।
तुलसीदास जी ने लिखा है…बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार, बल बुद्धि विद्या देऊ मोहि हरेहू कलेष विकार… यानी हनुमान चालीसा का पाठ करने से अंत:करण शुद्ध हो जाता है। काम, क्रोध, मद, भय आदि का नाश होता है। भक्त अपने सहज स्वरूप में प्रतिष्टित हो जाता है। हमारी बुद्धि रितम्भरा हो जाती है। हनुमान चालीसा हमें प्रभु श्रीराम तक पहुंचाने का भी एक माध्यम हैं।
कुमति निवार सुमति के संगी…कुमति माने तमोगुणी बुद्धि समाप्त हो जाती है और सुमति प्राप्त होती है। बुद्धि सतोगुणी हो जाती है और जैसे ही यह अवस्था प्राप्त होगी, भक्त में ब्रह्म को धारण करने की योग्यता आ जाती है।
विद्यावान गुनी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर। प्रभु चरित्र सुनवै को रसिया, रामलखन सीता मन बसिया। ये हनुमान जी के ह़दय में श्रीराम, सीता और लक्षमण की भक्ति को दर्शाता है। अगर कोई हनुमान जी को अपना गुरू मान लेता है तो वे उसके सदगुरू बनकर उसे भगवान तक पहुंचाते हैं। क्योंकि ये हनुमान जी के बहुत प्यारे हैं।

तुलसीदास जी कहते हैं…राम रसायन तुम्हरे पासा। यानी सारा राम रसायन इनके पास ही है। और राम दुआरे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे… यानी हनुमान श्रीराम जी के दरवाजे के पहरेदार हैं। बिना उनकी अनुमति के भगवान के दरबार में प्रवेश संभव नहीं है।
हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी तरह के दुख दर्द मिट जाते हैं। तुलसीदास जी हनुमान चालीस के जरिए कलयुग में भक्तों को ऐसी नौका उपलब्ध कराई है, जो इसका नियमित पाठ करेगा उस पर हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होना तय है।

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