scriptआज का सवाल : लगातार प्रयास के बावजूद मिलावट की रोकथाम के उपाय सफल क्यों नहीं हो पा रहे ? | Today's question: Why are measures to prevent adulteration not succeeding despite continuous efforts? | Patrika News
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आज का सवाल : लगातार प्रयास के बावजूद मिलावट की रोकथाम के उपाय सफल क्यों नहीं हो पा रहे ?

पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं, प्रस्तुत हैं पाठकों के कुछ विचार…

जयपुरApr 12, 2025 / 05:16 pm

विकास माथुर

भ्रष्ट प्रशासन व मिलावटखोरों की मिलीभगत
मिलावटखोरों ने नैतिकता और मानवीयता को दरकिनार कर मात्र आर्थिक लाभ के लिए मिलावट को सहजता से अपना लिया है। भ्रष्टाचार के जीवाणु से ग्रसित प्रशासन ने आंखों पर द्वारा आंखों पर पट्टी बांध ली है। इस अपराध से जन समुदाय को स्वास्थ्य हानि का जोखिम उठाना पड़ रहा है ।
— मनीष दाधीच , मदनगंज-किशनगढ़
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जनता और सरकार दोनों को गंभीर होना होगा
लोगों को डिब्बा बंद भोज्य पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए। साबुत अनाज व मसाले घर पर या अपने सामने पिसवाने चाहिए। मिलावट की रोकथाम के लिए जनता को जागरूकता होना होगा। इसके लिए नियमित अभियान व रैलियां होनी चाहिए। सरकार और जनता दोनों को इसकेे लिए प्रयास करने होंगे।
शालिनी ओझा, बीकानेर राजस्थान
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सभी को मिलकर काम करने की जरूरत
इस समस्या से निपटने के लिए सरकार, उपभोक्ता और व्यापारी सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उपभोक्ता जागरूकता, मजबूत कानूनी प्रावधान, और प्रभावी निगरानी तंत्र मिलावट को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं
बजरंग लाल थूमड़ी, दौसा राजस्थान
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मिलावटखोरों को कड़ी सजा मिले
इसका मुख्य कारण कड़े कानून का अभाव है। जब तक मिलावट करने वाले लोगों को कड़ी सजा नहीं मिलेगी तब तक वे ऐसा करने से बाज नही आएंगे। आजकल जगह जगह हर खाने पीने की चीजों में मिलावट की जा रही है। लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है पर भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से एक दो जगह कार्रवाई की जाती है फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। इसलिए मिलावट खोरों को बिल्कुल भय नहीं है। अगर मिलावट रोकनी है तो सरकार को इसके लिए कड़ी से कड़ी सजा का कानून बनाना होगा।
अर्जुन सिंह बारड़, अनादरा सिरोही
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सख्ती से लगाएं रोक
बढ़ती मिलावट आज चिंता का विषय है । सरकार को सख्ती से मिलावटखोरी पर रोक लगानी चाहिए। खाद्य वस्तुओं की जांच के लिए जगह जगह लैब स्थापित की जाएं। — साजिद अली, चंदन नगर, इंदौर
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जुर्माने और सजा का डर कम
खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम का सख्ती से पालन और क्रियान्वयन नहीं होता। मिलावटखोर स्थानीय भ्रष्टाचारी खाद्य निरीक्षकों और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों से मिलीभगत कर लेते हैं। जन जागरूकता के अभाव में मिलावटी पदार्थों से अनभिज्ञ लोग दुष्परिणामों को जाने बगैर कम दामों वाले दिखावटी सामान को खरीद लेते हैं। मुनाफाखोरी का लालच मिलावटखोर बेईमान और अनैतिक व्यापारियों से ऐसे कुकर्म करवाता है। लचीली, कमजोर और अप्रभावी कानून व्यवस्था के कारण ही मिलावटखोरी पनपती रही है।
डाॅ. मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ
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रिश्वतखोरी व लम्बी जांच प्रक्रिया
जल्द अमीर बनने के लिए खाद्य पदार्थो में मिलावट करके लोगों की सेहत से खिलवाड कर रहे हैं। सरकारी एजेंसिया, रिश्वतखोरी व लंबी जांच प्रक्रिया के बहाने से मिलावटखोरों की पौ बारह हो रही है। सरकार की एजेंसियों और कम्पनियों को मिलकर ठोस कार्रवाई करने की मुहिम समय-समय पर चलाई जानी चाहिए। इसके लिए कठोर सज़ा के प्रावधान हो।
— हरिप्रसाद चौरसिया, देवास (मध्यप्रदेश)
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जांच व निगरानी की प्रक्रिया धीमी
सरकारी विभागों की तुलना में बाजार बहुत बड़ा है। इसलिए जांच व निगरानी की प्रक्रिया धीमी है। भ्रष्टाचार भी इसका एक अन्य कारण है। यदि सरकार की इच्छाशक्ति हो तो मिलावट पर काफी हद तक रोक लग सकती है। दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, जिससे उनका मनोबल बना रहता है। उपभोक्ता स्वयं गुणवत्ता की बजाय सस्ते विकल्प पसंद करते हैं। कानूनों क क्रियान्वयन कमजोर है। अधिक मुनाफे के लालच में कुछ व्यापारी जानबूझकर मिलावट करते हैं। यह एक संगठित गिरोह है, जिन्हें पकड़ना काफी मुश्किल है। हर जगह तुरंत जांच करने के लिए पर्याप्त लैब या मोबाइल यूनिट्स नहीं हैं।
कई बार सैंपल रिपोर्ट आने में महीनों लग जाते हैं, जिससे असर खत्म हो जाता है।
— प्रियंका गोयल
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उपभोक्ताओं को स्वयं रहना होगा जागरूक
उपभोक्ता के तौर पर भोजन और पेय पदार्थो की जांच करे और उनकी गुणवत्ता की पुष्टि करें । विक्रेता के तौर पर उत्पादों की स्रोत की जांच करें और सुनिश्चित करें कि वे विश्वसनीय स्रोत से आ रहे हैं । सरकार के लिए है कि निगरानी और जांच करे कि उत्पादों की गुणवत्ता मानकों के अनुसार है ।
— विनिता देवी
थानागाजी, अलवर, राजस्थान

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