scriptदिल की बीमारी से जुड़े जोखिमों को लेकर जागरूकता की कमी | Lack of awareness about the risks associated with heart disease | Patrika News
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दिल की बीमारी से जुड़े जोखिमों को लेकर जागरूकता की कमी

डॉ. राजीव गुप्ता, सीनियर फिजिशियन एवं आरयूएचएस जर्नल ऑफ हैल्थ साइंसेज के एडिटरभारत में दिल की बीमारी से जुड़े जोखिमों को लेकर जागरूकता भी काफी कम है। एक जन सर्वेक्षण के मुताबिक आधे लोगों में लाइलाज हाइपरटेंशन व मधुमेह विषयक कोई जागरूकता नहीं है और कोलेस्ट्रोल में वृद्धि को लेकर सिर्फ दस फीसदी लोग ही […]

जयपुरDec 23, 2024 / 06:20 pm

Sanjeev Mathur

डॉ. राजीव गुप्ता, सीनियर फिजिशियन एवं आरयूएचएस जर्नल ऑफ हैल्थ साइंसेज के एडिटर
भारत में दिल की बीमारी से जुड़े जोखिमों को लेकर जागरूकता भी काफी कम है। एक जन सर्वेक्षण के मुताबिक आधे लोगों में लाइलाज हाइपरटेंशन व मधुमेह विषयक कोई जागरूकता नहीं है और कोलेस्ट्रोल में वृद्धि को लेकर सिर्फ दस फीसदी लोग ही सचेत हैं। इसके अलावा पर्याप्त स्वास्थ्य शिक्षा के अभाव एवं सोशल मीडिया पर अनाप-शनाप सलाहों के कारण लोगों में अस्वास्थ्यकर भोजन, आलसी जीवनशैली, तंबाकू और पर्यावरणीय प्रदूषण को लेकर जागरूकता का स्तर तुलनात्मक रूप से काफी कम है। हृदय रोगों के जोखिम कारकों पर नियंत्रण पाना जीवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है। असमय हृदयाघात को टालने के लिए स्वस्थ जीवनशैली का यह अभ्यास किशोरावस्था में शुरू कर लेना चाहिए और उम्र के साथ बढ़ती जोखिम दर के सापेक्ष इसे और कड़ा होता जाना चाहिए।
अध्ययनों के अनुसार हाल के वर्षों में वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय प्रदूषण भी हृदय रोग के बड़े जोखिम कारक के रूप में उभरा है। अस्वास्थ्यकर आवास संरचनाओं से जनित आंतरिक प्रदूषण हृदय के लिए हानिकारक है। घरों, कार्यस्थलों, जिम आदि में कमजोर वायुसंचार व्यवस्था ने स्थिति को और बदतर किया है। कचरा प्रबंधन जैसा महत्त्वपूर्ण तंत्र आज भी आदिम युग में है। दुनिया के अधिकांश मुल्कों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए बनी नीतियों का सख्ती से अनुपालन नहीं हो पा रहा। जिन देशों में पर्यावरण प्रदूषण पर सभी प्रकार से प्रभावी नियंत्रण है, वहां असमय हृदयाघात के मामले काफी कम हैं।
जिम में आकस्मिक मृत्यु की त्रासद खबरें भी आई हैं। असामान्य शारीरिक परिश्रम हृदयाघात के खतरे को बढ़ाता है और कठोर शारीरिक व्यायाम शुरू करने से पहले चिकित्सकीय परामर्श अत्यधिक महत्वपूर्ण है। असामान्य मानसिक व भावनात्मक दबाव भी आकस्मिक हृदयाघात के लिए रास्ता खोलता है। इन तीव्र शारीरिक व मानसिक दबावों की अति से बचना महत्त्वपूर्ण है। भगवत गीता भी हमें अच्छे स्वास्थ्य के लिए उचित आहार, विहार, चेष्टा, प्रयास व निद्रा वाली युक्तियुक्त यानी संतुलित जीवनचर्या का संदेश देती है।

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