अपने जीवन से स्वामी विवेकानंद ने सिखाया कि सच्चा नेतृत्व दूसरों को सशक्त बनाने में निहित है। उनका मानना था कि व्यक्तियों, विशेष रूप से युवाओं के भीतर निहित शक्ति और आत्मविश्वास को जगाकर, वे चुनौतियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। समाज में सार्थक योगदान दे सकते हैं। स्वामी विवेकानंद का आत्मविश्वास पर जोर भी मुझे प्रभावित करता है। उन्होंने सिखाया कि प्रत्येक व्यक्ति अपने भाग्य को आकार देने की शक्ति रखता है और इसी तथ्य ने विद्यार्थियों और सहकर्मियों के साथ मेरी बातचीत को निर्देशित किया है। मैंने जो भी नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभाई हैं – चाहे वह शैक्षणिक संस्थानों का नेतृत्व करना हो, टाटा स्टील में बड़े पैमाने पर परियोजनाओं का प्रबंधन करना हो या पर्वतारोहण अभियानों में विविध टीमों का मार्गदर्शन करना हो, मैंने ऐसा माहौल बनाने का प्रयास किया है जहां हर व्यक्ति मूल्यवान, समर्थित और अपनी अपेक्षाओं से बढ़कर काम करने के लिए प्रेरित महसूस करें। स्वामी विवेकानंद का युवाओं में परिवर्तन के अग्रदूत के रूप में विश्वास समाज को बदलने की उनकी क्षमता में मेरे स्वयं के विश्वास को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, ‘मेरा विश्वास युवा पीढ़ी, आधुनिक पीढ़ी में है, उनमें से ही मेरे कार्यकर्ता निकलेंगे।’ स्वामी विवेकानंद का मानना था कि खुद पर भरोसा सफलता की आधारशिला है। एक लीडर के रूप में मैंने पाया कि दूसरों पर भरोसा करना और उन्हें जिम्मेदारी लेने में सक्षम बनाना स्वामित्व और आत्म-आश्वासन की भावना को बढ़ावा देता है। इसी प्रकार, उनका जीवन मानवता के उत्थान के लिए समर्पित रहा। नेतृत्व के लिए दृष्टि की एक समान स्पष्टता की आवश्यकता होती है, जो दूसरों को सामूहिक लक्ष्यों के साथ जुडऩे के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करती है। विवेकानंद विभिन्न संस्कृतियों के लोगों से जुड़े थे, और मैंने सीखा है कि विविध दृष्टिकोणों को समझना और उनका सम्मान करना नेतृत्व को समृद्ध करता है और अपनेपन की भावना उत्पन्न करता है। इसी प्रकार, स्वामी विवेकानंद का जीवन उनकी शिक्षाओं का प्रमाण था। स्वामी विवेकानंद से मिली सीखें अनगिनत लोगों को उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने और नि:स्वार्थ भाव से समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित करती रहती है। एक लीडर के रूप में, मैं अक्सर स्वामीजी के शब्दों पर विचार करता हूं- ‘एक लक्ष्य बनाओ। उस पर अपना जीवन का निर्माण करो, उसके सपने देखो, उस लक्ष्य के विचारों पर जियो।’