Patrika Opinion : भूकंपरोधी तकनीक से बनानी होंगी इमारतें
तिब्बत में मंगलवार की सुबह 7.1 तीव्रता के भूकंप ने तबाही मचा दी। जान-माल के नुकसान से वहां लोग दहशत में हैं। भूकंप के ऑफ्टरशॉक के रूप में 150 झटके लगे, जिससे भारत, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश की धरती भी हिल गई। भूकंप की ऐसी विनाशलीला भारत को भी चिंतित इसलिए करती है कि देश […]
तिब्बत में मंगलवार की सुबह 7.1 तीव्रता के भूकंप ने तबाही मचा दी। जान-माल के नुकसान से वहां लोग दहशत में हैं। भूकंप के ऑफ्टरशॉक के रूप में 150 झटके लगे, जिससे भारत, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश की धरती भी हिल गई। भूकंप की ऐसी विनाशलीला भारत को भी चिंतित इसलिए करती है कि देश के कई राज्य भूकंप के लिहाज से संवेदनशील हैं। भूगर्भशास्त्री कहते हैं कि हिमालय टेक्टॉनिक प्लेटों की टक्कर से बना है। भारत हिमालय की गोद में बसा है। ऐसे में इसे धरती के भीतर की प्लेटों में होने वाली हलचल का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
बीते दो दशक में बेतरतीब विकास का ही नतीजा है कि महानगरों में सीमेंट-कंकरीट की आसमान छूती इमारतें दिखाई दे रही हैं। अधिकतर के निर्माण में कायदे-कानूनों की अनदेखी की जाती रही है। यह बार-बार कहा जा रहा है कि बहुमंजिला इमारतें भूकंप की स्थिति में जान एवं माल की भारी क्षति का कारण बन सकती हैं। भारत के कई राज्य भूकंप के लिहाज से संवेदनशील जोन में स्थित है। आखिर भूकंप से बचा कैसे जाए? यह बड़ा प्रश्न है। देश की राजधानी दिल्ली भी भूकंप संभावित क्षेत्र सेस्मिक जोन-4 में आती है। आबादी का बड़ा दबाव झेल रही दिल्ली के कई इलाकों में लोग पुरानी इमारतों में रह रहे हैं। ऐसे में 6 तीव्रता का भूकंप दिल्ली एवं एनसीआर क्षेत्र में बड़ी तबाही ला सकता है।
भूकंप की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। लेकिन यह एक तथ्य है कि भूकंप के दौरान जान एवं माल की सर्वाधिक क्षति इमारतों के गिरने से होती है। देश के बड़े शहर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, गुवाहाटी और श्रीनगर भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है, लेकिन इन शहरों में भी चुनिंदा बहुमंजिला इमारतों के निर्माण में ही भूकंपरोधी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। ग्रामीण इलाकों में तो भवन निर्माण के समय भूकंपरोधी इमारतों की तरफ शायद ही ध्यान दिया जाता हो। इमारतों को भूकंपरोधी बनाकर नुकसान से बचा जा सकता है। तिब्बत का भूकंप कई सबक सिखाता है। सिर्फ सरकार के भरोसे बैठना ही उचित नहीं। लोगों को घरों को बनाने की भूकंपरोधी तकनीक का इस्तेमाल करना होगा।
हम भूकंप को रोक नहीं सकते, लेकिन जापान की तरह उससे बचने के प्रयास तो कर ही सकते हैं। सब-कुछ भगवान के भरोसे नहीं छोड़ सकते। विडंबना यह है कि लोगों को भूकंप के बारे में बहुत जानकारी नहीं है। समय की मांग है कि तिब्बत में आए भूकंप से नागरिक और सरकार दोनों सीख लें और इमारतों के निर्माण में भूकंपरोधी तकनीक का इस्तेमाल करें, तभी जाकर इस आपदा से निपटना आसान होगा।
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