scriptमहाकुंभ के बाद देशभर में धार्मिक पर्यटन को मिलेगी नई उड़ान | Mahak | Patrika News
ओपिनियन

महाकुंभ के बाद देशभर में धार्मिक पर्यटन को मिलेगी नई उड़ान

लोकेश त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार व स्तंभकार

जयपुरMar 07, 2025 / 02:05 pm

Neeru Yadav

Mahakumbh
प्रयागराज में महाकुंभ संपन्न होने के बाद कहां-क्या परिवर्तन हुआ, किसने कितना पाया, जैसे पहलुओं पर मंथन चल रहा है। जब यह उदाहरण दिया जाता है कि एक नाविक परिवार ने महाकुंभ के दौरान 45 दिन में 30 करोड़ की कमाई की तो आप समझ सकते हैं कि आर्थिक तो सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष बना ही है। जैसा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा भी है कि संस्कृति भी इकोनॉमिक ग्रोथ का माध्यम बन सकती है। प्रयागराज महाकुंभ, अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर और श्री काशीविश्वनाथ धाम कॉरिडोर ने यह सिद्ध किया है।
एक अनुमान के मुताबिक महाकुंभ से अर्थव्यवस्था में तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक का इजाफा हुआ है। आर्थिक विशेषज्ञ भी गिनाते हैं कि महाकुंभ में आए 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने औसतन 5 हजार रुपए खर्च किए, तो यह कुल 3.30 लाख करोड़ होता है। एक अनुमान के मुताबिक महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं ने परिवहन पर 1.50 लाख करोड़ और खानपान पर 33 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए। वहीं यह महाकुंभ देश की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान देने जा रहा है। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन की मानें तो महाकुंभ से भारत को वित्तीय वर्ष 2024-25 में 6.5 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। प्रत्येक चार वर्ष बाद आने वाला कुंभ स्वयं में यादगार रहता है, लेकिन मान्यता के अनुसार इस बार का महाकुंभ 144 वर्षों बाद आया था। वैसे इस महाकुंभ में सोशल मीडिया की दुकान भी खूब चल निकली। रील और शॉट्र्स ने तो महाकुंभ को इस कदर लोकप्रिय कर दिया कि 100 से अधिक देशों के लोग डुबकी लगाने आ गए। मोनालिसा और आइआइटी बाबा जैसे कई तो इस आयोजन में इतने प्रसिद्ध हो गए जितनी कल्पना भी नहीं की जा सकती। वहीं, ममता कुलकर्णी को इतनी मीडिया कवरेज तो उनकी सुपरहिट फिल्म प्रदर्शन के दौरान भी नहीं मिली होगी।
महाकुंभ में युवाओं की धर्म के प्रति आस्था भी बहुत दिखी। अब धार्मिक स्थलों पर युवा श्रद्धालुओं की संभावनाओं पर भी नजर जरूर रखी जाएगी। प्रतियोगी परीक्षाओं में महाकुंभ पर आधारित सवालों की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। महाकुंभ का आयोजन बड़ा था तो उपलब्धि भी बड़ी मिलनी थी। खास प्रशिक्षण के बाद जहां पुलिस ने अपने व्यवहार से और सफाईकर्मियों ने अपनी गुणवत्तापूर्ण कार्यशैली से नजीर पेश की, वहीं अग्निशमन विभाग ने बिना किसी जनहानि के साथ अग्नि दुर्घटनाओं पर काबू पाया। यहां सबसे अहम बात यह भी रही कि करोड़ों श्रद्धालु आए और लूट-चोरी जैसी एक भी घटना दर्ज नहीं हुई।
विदेशी मीडिया, जैसे द वॉल स्ट्रीट जनरल ने लिखा कि यह अमरीका की कुल आबादी से ज्यादा का आयोजन था। वहीं बीबीसी ने महाकुंभ को मानवता का सबसे बड़ा समागम बताया। यूनेस्को के डायरेक्टर टिम कर्टिस ने कहा कि यूनेस्को ने वर्ष 2019 में कुंभ मेले को मानवता के अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी। वर्ष 2023 से इस आयोजन को लेकर सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय प्रभावों की निगरानी की जा रही थी। कुंभ मेला प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विश्व को एक नई दृष्टि प्रदान करता है।
महाकुंभ का बजट करीब 12,670 करोड़ रुपए था। इसमें राज्य और केंद्र दोनों का खर्च शामिल है। कुंभ के दौरान करोड़ों लोगों के प्रयागराज आने से इस विशाल तीर्थयात्रा कार्यक्रम से बड़े पैमाने पर व्यापार होने की उम्मीद थी और यह हुआ भी, रिकार्ड तोड़ हुआ। दूर-दूर से आए लोगों ने सोचा कि अब आए ही हैं तो लगे हाथ अयोध्या, बनारस और विंध्याचल भी हो लें। उनका सोचना भर था कि आसपास के जिलों की सडक़ें जाम हो गईं और तीनों तीर्थ स्थलों पर रिकॉर्ड तोड़ भीड़ हुई। हर सडक़ पर 5-7 किलोमीटर का जाम मिलना आम बात हो गई। हालत ऐसी हो गई कि मुख्यमंत्री को खुद भोर तीन बजे वॉर रूम से मॉनिटरिंग करनी पड़ी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 66 करोड़ लोगों ने महाकुंभ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, वहीं जो नहीं आ पाए उनके लिए उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में संगम का जल मुहैया कराने की जिम्मेदारी अग्निशमन विभाग को सौंपी गई।
महाकुंभ ने राज्य सरकार को चारों जनपदों को जोडऩे के लिए एक विशेष हाई-वे जैसा फैसला लेने की सोच भी जरूर दे दी होगी। हालांकि त्रिवेणी संगम, संगम क्षेत्र को नव्य स्वरूप देने की प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है। यह महाकुंभ जहां कई खट्टी-मीठी यादें छोड़ गया, वहीं धार्मिक स्थलों के स्थानीय लोगों के लिए भी कई सीख दे गया। महाकुंभ में अन्य राज्यों से आए टीका लगाने, चाय व दातून बेचने वालों ने और बाइक मालिकों ने 18-20 घंटे में 10-10 हजार रुपए कमाकर मेला आधारित रोजगार पैदा किए। इसे देखते हुए अन्य धार्मिक स्थलों पर भी रोजगार की नई संभावनाएं दिख रही हैं।

Hindi News / Opinion / महाकुंभ के बाद देशभर में धार्मिक पर्यटन को मिलेगी नई उड़ान

ट्रेंडिंग वीडियो