Opinion : सर्जिकल संक्रमण की दर स्वास्थ्य सेवाओं को चुनौती
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की ओर से कराए गए अध्ययन में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि दुनिया के कई देशों के मुकाबले भारत के अस्पतालों में सर्जिकल साइट संक्रमण (एसएसआइ) की दर सर्वाधिक है। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अपूर्व प्रगति के बावजूद भारतीय अस्पतालों में संक्रमण की यह दर न […]
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की ओर से कराए गए अध्ययन में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि दुनिया के कई देशों के मुकाबले भारत के अस्पतालों में सर्जिकल साइट संक्रमण (एसएसआइ) की दर सर्वाधिक है। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अपूर्व प्रगति के बावजूद भारतीय अस्पतालों में संक्रमण की यह दर न केवल मरीजों की सेहत पर नकारात्मक असर डालने वाली है बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली पर भी आर्थिक दृष्टि से बोझ है। सर्जिकल संक्रमण सर्जरी के बाद सर्जरी के स्थान पर त्वचा के ऊपरी हिस्से में होता है। कभी-कभी यह मांसपेशियों तक भी फैल जाता है। यह संक्रमण त्वचा की सतह या सर्जरी के दौरान शामिल किसी अंग या इम्प्लांटेड सामग्री (जैसे कृत्रिम जोड़ों) को प्रभावित करता है। आमतौर पर यह संक्रमण सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान बैक्टीरिया के ऑपरेशन क्षेत्र में प्रवेश करने, सर्जिकल उपकरणों या ऑपरेशन स्थल की उचित सफाई न होने, रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने तथा सर्जरी से पहले और बाद में एंटीबायोटिक्स का सही तरीके से उपयोग न करने से होता है।
आइसीएमआर के अध्ययन के अनुसार हर साल करीब 15 लाख मरीज इस तरह के संक्रमण की चपेट में आते हैं। हड्डियों और मांसपेशियों से संबंधित सर्जरी में संक्रमण की यह दर सबसे ज्यादा 54.2 प्रतिशत है। उच्च आय वाले कई देशों में यह दर 1.2 से 5.2 प्रतिशत के बीच ही है। देखा जाए तो संक्रमण की यह उच्च दर न केवल हमारी स्वास्थ्य सेवाओं के सम्मुख बड़ी चुनौती है बल्कि यह मानव जीवन की गुणवत्ता पर भी गंभीर प्रभाव डालती है। संक्रमण के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं तो होती हैं, अस्पताल में ज्यादा देर तक रहने से उपचार की लागत भी बढ़ जाती है। सर्जिकल संक्रमण की यह उच्च दर सचमुच डराने वाली है। इसे कम करने के लिए सरकार, स्वास्थ्य संस्थान और समाज सबको एकजुट होकर बहु आयामी दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। सर्जिकल संक्रमण के कारकों की तलाश कर उनके समाधान पर अनुसंधान कार्य को गति देनी होगी। इतना ही नहीं, अस्पतालों को भी अपने यहां स्वच्छता मानकों को सख्ती से लागू करना होगा। सर्जिकल अपशिष्ट को उचित तरीके से निपटाने के लिए प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली जरूरी है। ऑपरेशन थियेटर की स्वच्छता के साथ उपकरणों की नियमित सफाई और स्टरलाइजेशन करना होगा। एंटीबायोटिक्स के विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के साथ एंटीबायोटिक प्रतिरोध के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाना भी जरूरी है। बेहतर स्वच्छता, प्रभावी निगरानी और जागरूकता के माध्यम से सर्जिकल संंक्रमण कम किया जा सकता है।
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