अहमदाबाद हादसे के बाद बोइंग के शेयरों में 8 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि लंदन जा रहे एयर इंडिया के इस बोइंग ड्रीमलाइनर विमान को अनुभवी पायलट सुमीत सब्बरवाल उड़ा रहे थे जिनके पास 8200 घंटे का फ्लाइंग अनुभव था। उनके सहयोगी पायलट क्लाइव कुंदर को भी 1100 घंटों का अनुभव था। अहमदाबाद से लंदन को रवाना हुए इस विमान ने उड़ान भरने के साथ ही एटीसी को सबसे गंभीर स्तर की डिस्ट्रेस कॉल की थी, जिसे मिडडे कॉल कहा जाता है। इसके बाद विमान का संपर्क टूट गया और वह क्रेश हो गया।
इस दुर्घटना के बाद द न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि ‘यह दुर्घटना उस समय हुई जब कंपनी ने 2018 और 2019 में हुई दो बड़ी दुर्घटनाओं के लिए आपराधिक जिम्मेदारी लेने से बचने के लिए अमरीकी सरकार के साथ समझौता किया था।’ विमान निर्माता कंपनी बोइंग अभी भी 2018 और 2019 में अपने 737 मैक्स विमान की दो बड़ी दुर्घटनाओं को लेकर वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ रही है और पिछले महीने ही वह इंडोनेशिया और इथियोपिया में हुई दुर्घटनाओं में मुआवजे के लिए 110 करोड़ अमरीकी डॉलर यानी करीब 9,900 करोड़ रुपए के बराबर मुआवजे के लिए तैयार हुई।
बोइंग विमानों की इन दो दुर्घटनाओं में कुल 346 लोग मारे गए थे। कंपनी ने पिछले महीने अमरीका के जस्टिस डिपार्टमेंट के साथ एक समझौता किया था, जिसके तहत कंपनी को दुर्घटनाओं के लिए आपराधिक जिम्मेदारी लेने से छूट मिल जाएगी। बोइंग नागरिक विमान बनाने वाले दो बड़ी कंपनियों में से एक है। दूसरी कंपनी एयरबस है जो बोइंग के अलावा नागरिक विमान बनाती है। एफएए की जांच बताती है कि बोइंग के 787 ड्रीमलाइनर के बारे में कई व्हिसिल ब्लोअर पहले भी गंभीर सुरक्षा चिंताएं जता चुके हैं। इसी कारण एफएए ने विमान के उत्पादन और असेंबली प्रक्रियाओं की जांच शुरू कर दी है। आरोप हैं कि कंपनी ने केवल विमान और उसके पुर्जों के निर्माण में तय प्रोसिजर का उल्लंघन किया बल्कि आवाज उठाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की। इन्हीं कारणों से बोइंग के सेफ्टी कल्चर और परिचालन निरीक्षण में अनदेखी की जांच तेज हो गई है।
एफएए के ऑडिट में पाया गया कि कंपनी में 17 साल से काम कर रहे बोइंग के एक इंजीनियर सैम सालेहपौर के अनुसार ड्रीमलाइनर के फ्यूजलाग यानी बाहरी आवरण के हिस्सों को गलत तरीके से एक साथ बांधा गया था, जिससे विमान की बॉडी कुछ वर्षों में कमजोर होकर टूट सकती है और इसका जीवनकाल कम हो सकता है। सालेहपौर के मुताबिक उन्होंने विमान के हिस्सों को जोडऩे-अलाइनमेंट करने के लिए कर्मचारियों को ‘टार्जन की तरह कूदते’ देखा। इसके बाद 2020 से लगातार तीन साल की अवधि में उन्होंने इन तरीकों पर चिंता जताई। लेकिन उनका कहना है कि उनकी चेतावनियों को न केवल खारिज कर दिया गया बल्कि उन्हें ‘चुप रहने’ का निर्देश दिया गया। एफएए की जांच में इस तरह कई व्हिसिल ब्लोअर्स ने आवाज उठाई जिनमें कहा गया है कि काम के दबाव के तहत वर्कर एसेंबली लाइन में घटिया क्वॉलिटी के पुर्जे और पाट्र्स लगा रहे थे। बोइंग ने 787 ड्रीमलाइनर विमानों का उत्पादन 2011 में शुरू किया था और आज दुनिया में 1100 से अधिक 787 विमान उड़ रहे हैं जिन्हें कई बड़ी अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन उपयोग में ले रही हैं।
भले ही भारत में गुरुवार को हुआ क्रेश दुनिया में यह किसी ड्रीमलाइनर की पहली दुर्घटना है। लेकिन निर्माण में कमियों की बातों के उजागर होने से साफ है कि पिछले कई सालों से इन विमानों में यात्रियों की सुरक्षा से समझौता किया जा रहा था। जाहिर है भारत में बोइंग 787 ड्रीमलाइनर यात्री जेट की दुर्घटना ने वर्षों से चले आ रहे गुणवत्ता संकट के बाद कंपनी के सुरक्षा रिकॉर्ड की जांच को फिर से शुरू कर दिया है। एविएशन सेफ्टी नेटवर्क डाटाबेस से पता चलता है कि बोइंग 787 ड्रीमलाइनर एयरक्राफ्ट विमान में पहले भी समस्याएं हुई हैं और यात्रियों को चोटें आईं, हालांकि कोई मौत नहीं हुई। भारत में इससे पहले हुई विमान दुर्घटनाओं पर नजर डालें तो 7 अगस्त 2020 को कालीकट में हुई विमान दुर्घटना 18 लोग मारे गए थे और 22 मई 2010 में मंगलौर एयरपोर्ट के टेबलटॉप रनवे पर फिसल कर आगे जा गिरे विमान में 158 लोगों की मौत हुई थी।
पटना में वर्ष 2000 में हुई विमान दुर्घटना में 55 लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि देश में सबसे बड़ी विमान दुर्घटना के रूप में 1996 में चरखी दादरी को याद किया जाता है जहां बीच आसमान में दो विमानों के टकराने से 349 लोगों की जान चली गई थी। तकनीकी खामी की वजह से विमान दुर्घटना का होना किसी भी तरह से माफी योग्य नहीं है।