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आपकी बात : सोशल मीडिया पर व्यस्तता पारिवारिक संबंधों में किस तरह दूरियां बढ़ा रही है?

पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं। प्रस्तुत हैं पाठकों की कुछ प्रतिक्रियाएं

जयपुरJun 15, 2025 / 01:36 pm

Neeru Yadav

भावनात्मक दूरी बढ़ती
सोशल मीडिया पर व्यस्तता पारिवारिक संबंधों में दूरियां बढ़ाने का एक महत्त्वपूर्ण कारण बनता जा रहा है। लोग ऑनलाइन दूसरों के साथ बातचीत करने में इतना समय बिताते हैं कि वे अपने वास्तविक दुनिया के रिश्तों को नजरअंदाज कर देते हैं और यही कारण है कि आज संबंधों में भावनात्मक दूरी बढ़ती दिखाई दे रही है और आपसी सौजन्य का ह्रास हो रहा है। सोशल मीडिया पर गलत जानकारी और गलतफहमी आसानी से फैल सकती है, जो परिवार के सदस्यों के बीच संघर्ष का कारण हो सकती है। इन समस्याओं से निपटने के लिए परिवार के सदस्यों को सोशल मीडिया के उपयोग को नियंत्रित करने की अत्यंत आवश्यकता है। – संजय निघोजकर, धार
समाज पर नकारात्मक प्रभाव
सोशल मीडिया पर व्यस्तता से पारिवारिक दूरियां बढ़ती जा रही हैं। इसका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसके अत्यधिक उपयोग से सामाजिक अलगाव बढ़ रहा है, क्योंकि लोग वास्तविक दुनिया के बजाय ऑनलाइन दुनिया में अधिक समय बिता रहे है। इसकी वजह से अवसाद, चिंता और अकेलापन जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही है। अधिकांश परिवारों में अशांति, विघटन, अकेलापन आदि इसी का परिणाम है। – प्रकाश भगत, चांदपुरा, कुचामन सिटी
पारिवारिक संवाद घट रहा
सोशल मीडिया पर बढ़ती व्यस्तता के कारण पारिवारिक संवाद घट रहा है। लोग एक ही घर में रहकर भी एक-दूसरे से भावनात्मक रूप से दूर हो गए हैं। पहले साथ बैठकर बातें होती थीं, अब सब मोबाइल में व्यस्त हैं। बच्चों, जीवनसाथी और बुजुर्गों से बातचीत कम हो गई है। इसका असर यह है कि रिश्तों में अपनापन कम हो रहा है और अकेलापन बढ़ रहा है। हमें डिजिटल समय पर नियंत्रण रखकर परिवार को प्राथमिकता देनी चाहिए। – मीता एस ठाकुर, जबलपुर
मोबाइल इंटरनेट का गठजोड़ है मुख्य चुनौती
सोशल मीडिया पर व्यस्तता के कारण रिश्तों में दरार तो आ ही रही है, साथ ही स्मार्टफोन का अधिक उपयोग करने के कारण अधिकतर लोगों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य गड़बड़ा रहा है, नींद पूरी नहीं हो रही है, स्क्रीनटाइम बढ़ रहा है। अनगिनत लाभों के बावजूद भी मोबाइल इंटरनेट के गठजोड़ ने लगभग पूरी दुनिया को बीमारी के मुहाने पर खड़ा कर दिया है। वर्तमान में सोशल मीडिया सबसे बड़ी लत एवं लाइलाज बीमारी बन गई है। – प्रो. एसके सिंह, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर
संवाद की जगह चुप्पी
आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया हमारी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन गया है, लेकिन इसकी अति हमारे पारिवारिक संबंधों में दूरी उत्पन्न कर रही है। लोग आभासी दुनिया में इतने अधिक उलझ गए हैं कि वास्तविक जीवन में अपने परिवार के साथ समय बिताना कम हो गया है। भोजन के समय, छुट्टियों में या पारिवारिक आयोजनों में भी मोबाइल स्क्रीन पर नजरें टिकी रहती हैं। संवाद की जगह चुप्पी और भावनात्मक जुड़ाव की जगह अकेलापन पनप रहा है। इससे आपसी समझ, स्नेह और भरोसे में कमी आ रही है, जो पारिवारिक संबंधों को धीरे-धीरे कमजोर बना रही है। – मनीष भारद्वाज, मंदसौर
परिवार के साथ कम समय बिताते
सोशल मीडिया पर व्यावसायिक और पारिवारिक संबंधों में दूरियां बढ़ने के कई कारण हैं, लोग सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने लगे हैं, जिससे वे अपने परिवार और मित्रों के साथ कम समय बिताते हैं। लोग सोशल मीडिया पर दूसरों की जिंदगी से अपनी तुलना करने लगते हैं, जिससे ईर्ष्या और असंतोष की भावना पैदा हो सकती है। – प्रवेश भूतड़ा,
सूरत

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