सिंचाई विभाग की ओर से हेमावास, सरदारसमंद, बांड़ी नेहड़ा, खारड़ा आदि बांधों पर रखरखाव व नहरों का गेज मैंटेन रखने आदि के लिए श्रमिक लगाए गए थे। उसमें से कुछ जगह श्रमिक बिना टैंडर किए लगा दिए गए। उसके बाद टैंडर लगाया गया। निविदा निकालने पर एक ठेकेदार को कार्य दिया। उसका कहना है कि मेरे खाते में जो राशि आई, उसमें से हेमावास बांध पर लगे श्रमिकों की राशि उसने एइएन व जेइएन को दे दी थी। जबकि श्रमिक इस अपने मेहनताने के लिए लगातार तकाजा कर रहे हैं। श्रमिकों के अनुसार उनको रोजाना 400 रुपए मानदेय पर कार्य पर रखा था। उन्होंने 200 से भी अधिक दिन तक कार्य किया था।
मैं पेमेंट कर चुका हूं
मैं एइएन व जेइएन को इस कार्य का पेमेंट कर चुका है। वहां श्रमिक उनकी ओर से लगाए गए थे। वहां आदमी पहले लगाए थे। टैंडर बाद में हुए। उसका पेंमेंट एइएन व जेइएन को करना था। मेरे खाते में करीब ढाई लाख रुपए आए थे। ओमप्रकाश, संवेदक
मेरे पास एक व्यक्ति आया था
हेमावास बांध पर कार्य करवाने का भुगतान श्रमिक को नहीं मिला है। इसके लिए एक जना मेरे पास एक-डेढ़ माह पहले आया था। मैंने पेमेंट के लिए उनको एक्सईएन के पास भेजा था। इस बारे में पता करता हूं। रामनारायण चौधरी, एसई, सिंचाई विभाग, पाली
सवाल जो मांगते जवाब
-बिना टैंडर किए श्रमिक एइएन व जेइएन की ओर से कैसे लगाए गए? -यदि ठेकेदार ने राशि उसके खाते में आने बाद अधिकारियों को दी तो वह श्रमिकों के पास क्यों नहीं पहुंची? -क्या किसी अधिकारी के स्थानान्तरण होने के बाद अगला अधिकारी पिछले कार्य का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार नहीं है?