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संविदा स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर, गर्भवती महिलाएं बिना जांच के लौटी घर!

Contract health workers on strike: मध्य प्रदेश में 400 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी बुधवार से नियमित कर्मचारियों के समान सुविधाएं दिए जाने सहित अन्य मांगों को लेकर सामूहिक हड़ताल पर चले गए है।

पन्नाApr 17, 2025 / 10:11 am

Akash Dewani

400 Contract health workers on strike in panna mp news
Contract health workers on strike: पन्ना में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं उस समय पूरी तरह से लड़खड़ा गईं जब बुधवार को करीब 400 संविदा स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारी नियमित कर्मचारियों के समान सुविधाएं दिए जाने सहित अन्य मांगों को लेकर सामूहिक हड़ताल पर चले गए। इनमें 150 एएनएम के शामिल होने से राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम ठप हो गया। उप स्वास्थ्य केंद्रों पर ताले लटकते नजर आए। जिला अस्पताल और प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर नियमित नर्सिंग स्टाफ से काम चलाया गया लेकिन सेवाओं में भारी व्यवधान देखा गया।

संविदा कर्मी हड़ताल पर

जिलेभर में कार्यरत 400 संविदा स्वास्थ्य कर्मियों में 150 एएनएम, 60 स्टाफ नर्स, मेडिकल ऑफिसर, डाटा एंट्री ऑपरेटर सहित अन्य पदों के कर्मचारी शामिल हैं। वर्षों से ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे ये कर्मचारी अब खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। लंबे समय से नियमितीकरण और समान सुविधाओं की मांग कर रहे इन कर्मचारियों ने हड़ताल का रास्ता चुन लिया, जिससे ग्रामीणों की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं।

एएनएम की हड़ताल से ठप हुआ टीकाकरण

एएनएम के हड़ताल पर जाने से जिले के अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्रों में ताले लटकते रहे। इससे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम पूरी तरह से ठप हो गया। बच्चों के नियमित टीके नहीं लग सके और गर्भवती महिलाओं की जांचें तक नहीं हो पाईं। सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाएं रुक गईं और लोग मायूस होकर लौटते रहे।
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थमी राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजनाएं

राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों की प्रगति के लिए हर दिन रिपोर्टिंग और डाटा एंट्री आवश्यक होती है। लेकिन संविदा डाटा एंट्री ऑपरेटरों के सामूहिक अवकाश पर चले जाने से न तो कोई रिपोर्ट तैयार हो सकी, न ही स्वास्थ्य विभाग को कोई सूचना भेजी जा सकी। इससे राज्य स्तरीय योजनाओं पर भी असर पड़ा है।

कर्मचारियों की नाराजगी का कारण

संविदा स्वास्थ्य अधिकारी-कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि वे बीते 20 वर्षों से जिले में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन आज भी उन्हें स्थायीत्व और नियमित कर्मचारियों जैसी सुविधाएं नहीं मिलीं। संघ ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 4 जुलाई 2023 को भोपाल में आयोजित महापंचायत में संविदा कर्मचारियों के लिए कई घोषणाएं की थीं, लेकिन अब तक उनका क्रियान्वयन नहीं हो सका है।

संविदा कर्मचारियों की प्रमुख मांगें

  • रिक्त पदों पर संविलियन कर नियमित किया जाए
  • ईएल (अर्जित अवकाश) और मेडिकल अवकाश की सुविधा दी जाए
  • अनुबंध प्रथा को पूरी तरह समाप्त किया जाए
  • अप्रेजल प्रणाली को हटाया जाए
  • एनपीएस, ग्रेच्युटी, डीए और स्वास्थ्य बीमा की सुविधा दी जाए
  • समकक्षता का पुनः निर्धारण हो
  • हटाए गए सपोर्ट स्टॉफ और मलेरिया एमपीडब्ल्यू को बहाल किया जाए
7 अप्रैल से काली पट्टी बांधकर सेवाएं दे रहे कर्मचारियों ने 16 अप्रैल को रैली निकालकर ज्ञापन सौंपा है और अब 21 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है।
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बिना जांच के लौटती गर्भवती महिलाएं

शाहनगर में सामूहिक हड़ताल का असर कुछ ऐसा रहा कि बीएमओ डॉ. सर्वेश लोधी को खुद मोर्चा संभालना पड़ा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आई गर्भवती महिलाएं बिना जांच कराए लौटने को मजबूर हो गईं। सुलोचना बाई पति शंकर निवासी रोहनियां, करीना बाई पति सूरज और खुशबू यादव पति शिवकुमार ने बताया कि वे कई घंटे से अस्पताल में बैठी थीं लेकिन कोई जांच नहीं हो सकी।

उप स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं दिखे कर्मचारी

देवरा उप स्वास्थ्य केंद्र की पार्वती बाई, राजकुमारी और पूजा बाई यादव ने बताया कि उप केंद्र पूरी तरह से बंद है। उन्हें एएनसी जांच के लिए 15 किलोमीटर दूर शाहनगर आना पड़ा, लेकिन यहां भी जांच नहीं हो सकी। बोरी, बिसानी, सारंगपुर जैसे अन्य क्षेत्रों में भी यही हालात रहे, जहां कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर होने से सेवाएं प्रभावित रहीं। बीएमओ ने स्थिति को संभालते हुए नियमित स्टाफ की तैनाती कर किसी तरह जरूरी सेवाएं चालू रखीं।

सरकार की चुप्पी से बढ़ रहा असंतोष

संविदा कर्मचारियों की मांगें स्पष्ट हैं और लंबे समय से वे इन्हें लेकर संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन सरकार की ओर से ठोस कदम न उठाए जाने के कारण अब उनका असंतोष चरम पर है। अगर जल्द ही समाधान नहीं निकाला गया, तो 21 अप्रैल से प्रस्तावित अनिश्चितकालीन हड़ताल जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को पूरी तरह से पंगु बना सकती है। ग्रामीण जनता इस प्रशासनिक अनदेखी का सीधा खामियाजा भुगत रही है।

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