चिराग पासवान को किंग मेकर की भूमिका में आंक रहे एक्सपर्ट। @Chirag X Page
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एलजेपी (आर) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने राजनीति के ‘मौसम विज्ञानी’ कहे जाने वाले राम विलास पासवान के बारे में कहा-पापा 2014 तक बीजेपी के धुर विरोधी थे। उसी साल लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी का केंद्र की राजनीति में उदय हुआ।
चिराग के मुताबिक पापा ने कहा था-जहर खा लूंगा लेकिन बीजेपी के साथ नहीं जाऊंगा और उसके बाद मैं ज्यादा कुछ नहीं कह पाया। राम विलास पासवान का 2020 में 74 साल की उम्र में निधन हो गया था। वह मनमोहन सिंह सरकार और उसके बाद मोदी नीत बीजेपी गठबंधन में भी कैबिनेट मंत्री रहे। राम विलास ऐसे विरले नेता थे, जिन्होंने 6 पीएम के साथ काम किया।
राहुल गांधी ने 3 महीने तक इंतजार कराया
चिराग ने कहा कि नवंबर 2013 से फरवरी 2014 के बीच हमने राहुल गांधी से कई बार मिलने की कोशिश की लेकिन हमें समय नहीं मिला। इसके बाद ही पापा ने बीजेपी के साथ जाने का फैसला किया। उस दौरान हम सोनिया गांधी से कई बार मिले, लेकिन वह हर बार कह देतीं कि राहुल के साथ मीटिंग रखेंगी। राहुल गांधी उस समय कांग्रेस अध्यक्ष थे। लेकिन हमारी उनसे मुलाकात नहीं हो पाई।
पापा के जहर खाने की बात पर स्तब्ध रह गया – चिराग
एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में चिराग ने अपने पिता के बारे में कई खुलासे किए। चिराग ने कहा कि जब पापा ने जहर खाने वाली बात कही तो मैं आगे कुछ नहीं बोल सका। हालांकि हालात ऐसे बन रहे थे कि गठजोड़ संभव हो पाया। उन्होंने बताया कि राम विलास ने कई बार कोशिश की। गठजोड़ हुआ और टूटा भी। 2021 में उनकी पार्टी बीजेपी नीत गठबंधन से अलग हो गई थी।
2000 में लोजपा का निर्माण किया
राजनीतिक विश्लेषक ओम प्रकाश अश्क बताते हैं कि 2000 के चुनाव में राजद के साथ मिलकर राम विलास पासवान ने बिहार में सरकार का गठन किया था। उनकी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी का गठन भी उसी साल हुआ था। उन्होंने राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। राम विलास 2002 में हुए गुजरात दंगों की वजह से बीजेपी से चिढ़ते थे। उस समय गुजरात की कमान नरेंद्र मोदी के हाथ में थी। हालांकि बाद में वे केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने।
राम विलास की छवि मंत्रिपद के पीछे भागने वाली रही
राजनीतिक मामलों के जानकार चंद्रभूषण के मुताबिक राम विलास पासवान 1997-98 के दौरान वीपी सिंह के साथ एक मुखर राजनेता के तौर पर उभरे थे। बाकी सालों में किसी भी कीमत पर मंत्रिपद पाने के लिए लालायित रहे। इसीलिए वह राजनीति के मौसम विज्ञानी कहलाए जाने लगे। 2002 में भारत का सर्वदलीय दल पाकिस्तान गया था, वहां पासवान ने यह कह दिया कि 1999 में मेरे ही वोट से अटल बिहारी सरकार गिरी थी। पाकिस्तान में जाकर ऐसा कहने पर काफी बवाल मचा था।
चिराग पासवान को किंग मेकर की भूमिका में आंक रहे एक्सपर्ट
राजनीतिक पंडित इस बार के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान को किंग मेकर की भूमिका में आंक रहे हैं। हालांकि उन्होंने बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना यह भी कहा था कि उन्हें बिहार में आने से रोकने की साजिश रची जा रही है। लेकिन वे किसी से डरने वाले नहीं हैं। इस बयानबाजी के बाद चिराग पासवान, एनडीए और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच कुछ गड़बड़ होने की आशंका जताई जाने लगी है। अब देखना यह होगा कि चिराग पासवान अपनी कथनी और करनी पर कितना अमल करेंगे। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान 130 सीटों पर लड़े थे, लेकिन जीते सिर्फ 1 सीट थे। हालांकि नीतीश कुमार के जदयू को खासा नुकसान पहुंचाया था।
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