गूंजे हर हर महादेव के उद्द्घोष
धार्मिक अनुष्ठान के उपरांत हर हर महादेव के जयकारे लगे। गाजे-बाजे के साथ ध्वज की पूजा-अर्चना की गई। अखाड़े से जुड़े तमाम साधु-संतों ने ध्वज को तैयार किया और फूल-माला और वैदिक मत्रोच्चार के साथ ध्वज लहराया। हर हर महदवे के उद्घोष और शंखनाद से वातारवरण में महाकुंभ में आध्यात्मिक रंगत छा गई।
52 फीट ऊंचा है धर्मध्वज
निरंजनी अखाड़े ने जो अपना धर्म ध्वज स्थापित किया है उसकी लंबाई 52 फीट है। अखाड़े में धर्मध्वज की स्थापना के साथ महाकुंभ का आगाज हो गया है। संतों ने पुरे विधि-विधान से मोरपंख, रुद्राक्ष की माला, तिलक, चंदन के साथ ही रोली आदि से गेरुआ रंग के ध्वज की पूजा की। क्या है निरंजनी अखाड़े का इतिहास
श्री निरंजनी अखाड़े की स्थापना सन 726 ई. (विक्रम संवत 960) में गुजरात के मांडवी में हुई थी। निरंजनी अखाड़े का पूरा नाम श्री पंचायती तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा है। इस अखाड़े का मुख्य आश्रम हरिद्वार के मायापुरी में है। उज्जैन, हरिद्वार, त्रयंबकेश्वर के साथ-साथ उयदयपुर में भी इस अखाड़े के आश्रम हैं।