CG Tribal Museum: नवा रायपुर में जनजातीय संग्रहालय बनकर तैयार, CM साय 14 मई को करेंगे लोकार्पण
CG Tribal Museum: नवा रायपुर में जनजातीय संग्रहालय लगभग 9 करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हो गया है। संग्रहालय का लोकार्पण मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 14 मई को करेंगे।
CG Tribal Museum: छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में जनजातीय संग्रहालय लगभग 9 करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हो गया है। इस संग्रहालय में जनजातीय संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। संग्रहालय का लोकार्पण मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 14 मई को करेंगे। प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने बताया कि संग्रहालय में डिजिटल और एआई तकनीक के माध्यम से जनजातीय संस्कृति का भी प्रदर्शन होगा।
उन्होंने बुधवार को संग्रहालय के शुभारंभ को लेकर अधिकारियों की बैठक ली और सभी कार्य जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। यह संग्रहालय नवा रायपुर स्थित आदिवासी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान परिसर में बनाया गया है। प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने अधिकारियों को संग्रहालय के शुभारंभ पर मुख्यमंत्री के हाथों नवनियुक्त छात्रावास अधीक्षक को नियुक्ति प्रमाण-पत्र भी प्रदान करने साथ ही प्रयास आवासीय विद्यालय के जेईई मेंस 2025 में क्वालिफाई करने वाले छात्रों का सम्मान कराए जाने के निर्देश दिए।
उन्होंने अधिकारियों के साथ जनजातीय संग्रहालय के व्यवस्थित रख-रखाव और यह आने वाले आगंतुकों के लिए आवश्यक व्यवस्था के संबंध में भी विचार-विमर्श किया। बैठक में आयुक्त डॉ. सारांश मित्तर, टीआरटीआई के संचालक जगदीश कुमार सोनकर, उप सचिव बीएस राजपुत सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
14 गैलरियों में दिखेगी जनजातीय संस्कृति
जनजातीय संग्रहालय में कुल 14 गैलरियां हैं, जिनमें जनजातीय जीवनशैली के सभी पहलुओं का बहुत ही खूबसूरत ढ़ंग से जीवंत प्रदर्शन किया गया है। इनमें जनजातियों के भौगोलिक विवरण, तीज-त्यौहार, पर्व-महोत्सव तथा विशिष्ट संस्कृति, आवास एवं घरेलू उपकरण, शिकार उपकरण, वस्त्र (परिधान) एवं आभूषण, कृषि तकनीक एवं उपकरणों, जनजातीय नृत्य, जनजातीय वाद्ययंत्रों, आग जलाने, लौह निर्माण, रस्सी निर्माण, फसल मिंजाई (पौधों से बीज अलग करना), कत्था निर्माण।
चिवड़ा-लाई निर्माण, मंद आसवन, अन्न कुटाई व पिसाई, तेल प्रसंस्करण के लिए उपयोग में लाने जाने वाले उपकरणों व परंपरागत तकनीकों, सांस्कृतिक विरासत के अंतर्गत अबुझमाड़िया में गोटुल, भुंजिया जनजाति में लाल बंगला इत्यादि, जनजातीय में परम्परागत कला कौशल जैसे बांसकला, काष्ठकला, चित्रकारी, गोदनाकला, शिल्पकला आदि का एवं अंतिम गैलरी में विषेष रूप से कमजोर जनजाति समूह यथा अबूझमाड़िया, बैगा, कमार, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर एवं राज्य शासन द्वारा मान्य भुंजिया एवं पण्डो के विशेषीकृत पहलुओं का प्रदर्शन किया गया है।
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