अगर आपको भी है Diabetes तो.. रखें इन चीजों का ध्यान नहीं तो.. कंधे में रहेगा असहनीय दर्द
Frozen Shoulder: डायबिटीज न केवल हार्ट, किडनी, आंख व लिवर को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इससे पीड़ित मरीजों को फ्रोजन शोल्डर की समस्या भी बढ़ती जा रही है।
Diabetes Symptoms: पीलूराम साहू. छत्तीसगढ़ के रायपुर में डायबिटीज न केवल हार्ट, किडनी, आंख व लिवर को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इससे पीड़ित मरीजों को फ्रोजन शोल्डर की समस्या भी बढ़ती जा रही है। ओवरऑल 25 फीसदी डायबिटीक इस समस्या से जूझ रहे हैं। जबकि 60 साल या इससे ज्यादा उम्र के 32 फीसदी लोगाें में ये समस्या हो रही है। यही नहीं 80 साल या इससे ज्यादा उम्र के 42 फीसदी बुजुर्गों में फ्रोजन शोल्डर की बीमारी देखने को मिली।
Diabetes Symptoms: मरीजों में फ्रोजन शोल्डर की समस्या
ऑर्थोपीडिक डॉक्टरों की स्टडी में ये बातें सामने आई है। फ्रोजन शोल्डर से पीड़ित लोग अपना हाथ भी नहीं उठा पाते। स्टडी में ये भी पता चला कि अगर इन मरीजों के एक कंधे में सालभर तक यह समस्या रही तो दूसरे कंधे में भी फ्रोजन शोल्डर की समस्या आ रही है। डॉक्टरों ने बताया कि कंधे में इतना असहनीय दर्द होता है कि मरीजों के लिए हल्का हाथ उठाना भी असंभव सा लगता है।
जीवनशैली में आए बदलाव के कारण अब कम उम्र के लोग खासकर युवा भी डायबिटीज से ग्रसित हो रहे हैं। इसके कारण 30 से 40 साल के लोग भी फ्रोजन शोल्डर से पीड़ित हो रहे हैं। गौर करने वाली बात ये है कि इनमें ज्यादातर लोग पांच साल या इससे ज्यादा समय से डायबिटीज के मरीज हैं।
Frozen Shoulder: कंधों में रोटेटर कफ इंजुरी के साथ बर्साइटिस
अब कंधे की कई समस्याएं जैसे फ्रोजन शोल्डर, रोटेटर कफ इंजुरी, बर्साइटिस, टेंडिनाइटिस, डिसलोकेशन, शोल्डर इम्पिन्जमेंट सिंड्रोम होने लगी हैं। डॉक्टरों का कहना है कि रोटेटर कफ टियर जैसी गंभीर समस्याओं के इलाज में अब बायो कंपोजिट इंप्लांट नई क्रांति ला रहे हैं।
ये इंप्लांट बायोटेक्नोलॉजी से बने होते हैं, जो सर्जरी के दौरान मात्र पांच मिनट में लगाए जा सकते हैं। इन्हें दूरबीन (आर्थोस्कोपी) की मदद से कंधे की मांसपेशियों से जोड़ा जाता है। छह माह में यह इंप्लांट घुलकर मांसपेशी जैसा रूप ले लेता है और उसे मजबूती देता है।
सूर्य की रोशनी न मिलने से हड्डी कमजोर
विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर होने लगी है। इसके प्रमुख कारणों में लोगों का फ्लैटों में रहना भी है। स्टडी में ये बात भी सामने आई है। विटामिन डी शरीर में कैल्शियम को अवशोषित कर हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। यदि शरीर में पर्याप्त विटामिन डी नहीं है, तो कैल्शियम का अवशोषण कम हो जाता है। इससे हड्डियां कमजोर व भंगुर हो जाती हैं। बच्चों में विटामिन डी की कमी से रिकेट्स नामक बीमारी हो सकती है।
इसमें हड्डियां नरम व विकृत हो जाती हैं। वहीं व्यस्कों में ऑस्टियोमैलेशिया नामक बीमारी होती है, जिसमें हड्डियां नरम व दर्दनाक हो जाती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क भी बढ़ जाता है, जिसमें हड्डियां पतली और कमजोर हो जाती हैं। विटामिन डी का मुख्य स्रोत सूर्य की रोशनी है। दूध, दही, पनीर, मछली व मशरूम में भी विटामिन डी पाया जाता है
सर्जन सीनियर ऑर्थोपीडिक डॉ. एस. मुखर्जी ने कहा की डायबिटीज के मरीजों को कई समस्याएं होती हैं, जिसमें फ्रोजन शोल्डर की समस्या भी प्रमुख है। अब 30 से 40 साल के लोगों को भी ये समस्या होने लगी है। बेहतर है कि डायबिटीज होने से अपने आपको बचाएं।
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