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रायपुर

हमारी सभ्यता आज भी शक्ति का प्रमाण है: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

त्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी, आईआईएम रायपुर के डायरेक्टर रामकुमार काकानी, सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री फूलबासन देवी और यंग एंटरप्रेन्योर अपूर्वा त्रिवेदी ने संबोधित किया।

रायपुरApr 21, 2025 / 01:18 pm

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हमारी सभ्यता आज भी शक्ति का प्रमाण है: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
पत्रिका समूह के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूर चन्द्र कुलिश की जन्मशती वर्ष के तहत रविवार, 20 अप्रैल को रायपुर की होटल बेबीलॉन केपिटल में पत्रिका की-नोट का आयोजन किया गया। पत्रिका की-नोट सामाजिक मुद्दों पर गहन चिंतन की शृंखला है, जो देशभर में आयोजित की जाती है। इस बार के संवाद कार्यक्रम का विषय रहा- नए दौर की भागदौड़ में पीछे छूटते भारतीयता के संस्कार…।
जिसमें अतिथि वक्ता के रूप में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी, आईआईएम रायपुर के डायरेक्टर रामकुमार काकानी, सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री फूलबासन देवी और यंग एंटरप्रेन्योर अपूर्वा त्रिवेदी ने संबोधित किया। कार्य₹म का संचालन गौरव गिरिजा शुक्ला ने किया। की-नोट में शहर के हर वर्ग से चिंतक बुद्धिजीवी जुटे।
हमारी सभ्यता आज भी शक्ति का प्रमाण है…

अब बच्चे को आया संभालती है

मां-बाप ही पहले गुरु होते हैं। जो संस्कार देंगे, वही वह सीखेगा। महाकुंभ में दुनिया के 65 करोड़ लोग आए, अब पश्चिमी देश भारत की संस्कृति की ओर लौट रहे हैं। सभ्यता मिटती नहीं है, भले ही हम गुलामी में रहे हों। विडंबना है कि कई घरों में बच्चे को आया पालती है और घर के लोग डॉगीज।
आज विदेशी लोग हमारी संस्कृति से प्रभावित हो रहे हैं। प्रयागराज महाकुंभ में बड़ी संख्या में पश्चिमी देशों के लोग श्रद्धा से गंगा स्नान करने पहुंचे। दूसरी ओर, हम दिखावे और आडंबर के चलते अपनी महान संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं और पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं।
प्रधानमंत्री द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति में शिक्षा के साथ-साथ रोजगार और संस्कार सम्मिलित हैं। इससे पुन: अपनी गौरवशाली सभ्यता की ओर अग्रसर हो रहे हैं। हमारा देश सदियों तक विश्व गुरु रहा है। नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों में दुनियाभर से छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे। सनातन धर्म अत्यंत प्राचीन है, जिसकी मूल भावना वसुधैव कुटुम्बकम् है। हमारी सभ्यता आज भी जीवित है, जो हमारी शक्ति का प्रमाण है।
यत्र नार्यस्तु पूज्यंते…

प्राचीन काल से ही भारत में नारी का सम्मान सर्वोपरि रहा है। हमारे यहां कहा गया है, यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता, अर्थात जहां नारी का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है। हमारे धर्म में भगवान के नाम से पहले देवी का नाम आता है। जैसे उमापति महादेव, सियापति राम, राधाकृष्ण आदि। हम मां सरस्वती से विद्या, मां लक्ष्मी से धन और मां दुर्गा से शक्ति की कामना करते हैं। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी का अर्थ है माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं।
माता-पिता ही बच्चे के प्रथम गुरु होते हैं, और जैसा वे सिखाते हैं, बच्चे वही सीखते हैं। आज जरूरत है प्राचीन परंपरा और संस्कृति सहजने की। मैकाले की अंग्रेजी शिक्षा पद्धति हमें गुलाम बना रही है। इसलिए प्रधानमंत्री ने नई शिक्षा नीति में रोजगार और संस्कार की बात की है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

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