पिछले साल मई में 47 डिग्री, इस बार 41.8 ही
राजधानी में पिछले साल 31 मई को पारा 47 डिग्री के पास पहुंच गया था। यह भीषण लू की स्थिति थी। लू चलने से सरकारी समेत निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई थी। 31 मई के पहले तक दो से 3 मरीज लू के आ रहे थे। अचानक 20 से ज्यादा मरीज लू के आने लगे थे। निजी अस्पतालों के मरीजों की संख्या मिला दी जाए तो इसकी संख्या 50 से ज्यादा पहुंच गई थी। इतनी भीषण गर्मी लंबे समय बाद पड़ी थी। बाहर धूप में काम करने वाले लोग आधे से एक घंटे में लू का शिकार हो रहे थे। इस बार ऐसा नहीं हुआ। कड़ी धूप का लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा था। डॉक्टरों के अनुसार इतनी भीषण गर्मी में खान-पान से लेकर जीवनशैली में विशेष बदलाव की जरूरत होती है।पिछले 5 साल में आंबेडकर अस्पताल में लू के मरीज
वर्ष मरीज2025 37
2024 95
2023 85
2022 81
2021 79
जो भी मरीज आए, ज्यादा गंभीर नहीं
पिछले साल फील्ड में काम करने वाले कई लोग आधा से एक घंटे के दौरान लू से पीड़ित हो जाते थे। इसलिए लू के काफी मरीज आए। इस साल ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि पिछले साल की तुलना में गर्मी काफी कम थी। जो भी मरीज आए, ज्यादा गंभीर नहीं थे और थोड़े दिनों के इलाज में ठीक हो गए। शरीर में पानी की कमी, थकान, कमजोरी, बेचैनी वाले मरीज आए, जो लू का ही असर है।डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा, प्रोफेसर मेडिसिन आंबेडकर अस्पताल
अत्यधिक गर्मी के कारण शरीर में पानी की कमी
ज्यादा गर्मी से हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है। दरअसल अत्यधिक गर्मी के कारण शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) हो जाती है। यही नहीं इलेक्ट्रोलाइट भी असंतुलित हो जाता है। इससे ब्लड प्रेशर में बदलाव आता है। दिल की धड़कन भी असामान्य हो सकती है। ये हार्ट अटैक व स्ट्रोक का कारण बन सकती है। इस बार ऐसे केस बिल्कुल नहीं आए, जो कि राहत की बात रही।डॉ. कृष्णकांत साहू, एचओडी कार्डियक सर्जरी एसीआई