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अस्पताल में भर्ती किया गया था। गहरी चोट व स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं होने पर डॉक्टरों ने आर्यन को ब्रेनडेड घोषित कर दिया। इसके बाद पैरेंट्स ने ऑर्गन डोनेशन करने का निर्णय लिया और आर्यन को एस शिट किया गया। एस में दोनों किडनी व एक लीवर निकालकर जरूरतमंदों को ट्रांसप्लांट किया गया।
प्रदेश का 11वां अंगदान
डॉक्टरों के अनुसार, आर्यन की एक किडनी एस में भर्ती 21 वर्षीय
युवक को तथा दूसरी किडनी रामकृष्ण अस्पताल में 24 वर्षीय युवक को ट्रांसप्लांट किया गया। लीवर भी रामकृष्ण अस्पताल को सौंपा गया। इसे भी जरूरतमंद मरीज को ट्रांसप्लांट किया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, यह प्रदेश का 11वां अंगदान है। आर्यन के पैरेंट्स से दूसरे लोग भी प्रेरित होंगे और अंगदान के लिए आगे आएंगे।
जागरुकता में कमी, इसलिए वेटिंग लंबी
अंगदान को लेकर लोगों में जागरुकता की कमी है। यही कारण है कि किडनी से लेकर लीवर व आंखों (कार्निया) के लिए लंबी वेटिंग है। प्रदेश में कैडेवर ऑर्गन डोनेशन पॉलिसी लागू हुए दो साल हो गए। इसके बाद भी जागरुकता की कमी के कारण कम लोग ही ऑर्गन डोनेशन के लिए आगे आते हैं। देश में तमिलनाडु अंगदान में सबसे आगे है। प्रदेश में ऑर्गन डोनेशन पॉलिसी लागू करने के पहले डॉक्टरों व अधिकारियों ने तमिलनाडु का दौरा किया था। साथ ही वहां की पॉलिसी का अध्ययन किया था। रामकृष्ण केयर अस्पताल मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संदीप दवे ऑर्गन डोनेशन से जरूरमंद लोगों को नई जिंदगी मिल रही है। हालांकि आवश्यकता की तुलना में यह काफी कम है। अस्पताल में ब्रेनडेड मरीजों को जागरूक कर ऑर्गन डोनेशन के लिए प्रेरित किया जा रहा है।