अभी 12 देशों के नाम सार्वजनिक नहीं किए (12 countries tariff notice)
डोनाल्ड ट्रंप ने अभी तक स्पष्ट रूप से 12 देशों के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं। उन्होंने केवल यह जानकारी दी है कि ये पत्र सोमवार, 7 जुलाई 2025 को भेजे जाएंगे और उसी दिन नाम सामने आ सकते हैं। हालाँकि, कुछ संकेत मिल रहे हैं कि ब्रिटेन और वियतनाम पहले ही टैरिफ समझौतों के साथ आगे आ चुके हैं। भारत, जापान, यूरोपीय संघ, और दक्षिण कोरिया के साथ बातचीत अभी भी जारी है।
ट्रंप ने कहा, ‘पत्र भेजना बेहतर है’
ट्रंप ने एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “पत्र भेजना बेहतर है… बहुत आसान है।” उन्होंने यह भी संकेत दिया कि आगामी शुल्क दरें 70% तक हो सकती हैं, जो 1 अगस्त से लागू हो सकती हैं। यह कदम कई देशों के साथ व्यापार वार्ताओं में प्रगति नहीं होने के कारण उठाया गया है, जिससे अमेरिकी व्यापार नीति में कठोरता आई है।
भारत और यूरोपीय संघ पर असर
भारत के साथ व्यापार वार्ता अब तक सफल नहीं रही है, जिससे संभावना है कि भारत को भी उच्च शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। यूरोपीय संघ के साथ भी समझौते में विफलता के कारण, वे वर्तमान व्यापार व्यवस्था को बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं, ताकि शुल्क वृद्धि से बचा जा सके।
अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव होगा ?
इस कदम से वैश्विक व्यापार संबंधों में अनिश्चितता बढ़ गई है, जिससे वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। उपभोक्ताओं को बढ़े हुए शुल्क के कारण महंगाई का सामना करना पड़ सकता है, जबकि विकासशील देशों की निर्यात-निर्भर अर्थव्यवस्थाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
वैश्विक व्यापार नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़
बहरहाल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 12 देशों को भेजे गए टैरिफ पत्र वैश्विक व्यापार नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ हैं। यह कदम व्यापार वार्ताओं में प्रगति न होने के कारण उठाया गया है, जिससे वैश्विक व्यापार संबंधों में अनिश्चितता और तनाव बढ़ सकता है।