नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार बच्चे कई बार बिना चश्मे के मोबाइल में गेम या दूसरी चीजें देखते हैं। इससे आंख का विजन लगातार कमजोर हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, कोरोनाकाल के बाद 100 में 10 से 12 बच्चों को चश्मा लग रहा है। जबकि इसके पहले महज दो से तीन बच्चों की आंख कमजोर हो रही थी।
CG News: आंखों का विजन 4 गुना तक हुआ कमजोर
कोरोनाकाल के पहले की तुलना में अब
बच्चों में चार गुना से ज्यादा विजन कमजोर हो गया है। स्क्रीन टाइम बढ़ने से न केवल नजर कमजोर हुई हैं, वरन आंखों में ड्रायनेस की समस्या भी बढ़ी है। आंबेडकर अस्पताल समेत निजी अस्पतालों की ओपीडी में कम उम्र के बच्चों को देखा जा सकता है, जिनकी नजर कमजोर हो गई है। ऐसे पैरेंट्स डॉक्टर से ये भी शिकायत करते देखे गए हैं कि बच्चे उनकी बिल्कुल नहीं सुनते और स्कूल से आने के बाद मोबाइल में व्यस्त हो जाते हैं।
कोरोना के बाद से बिगड़ी आदतें
प्रदेश में कोरोना का पहला केस मार्च 2020 में मिला था। इसके बाद लंबे समय तक लॉकडाउन रहा। ऐसे में स्कूल व कॉलेज बंद थे। इस दौरान
ऑनलाइन क्लासेस शुरू की गई। इसके लिए पैरेंट्स ने स्मार्ट फोन की व्यवस्था की। ऑनलाइन क्लास के चलते बच्चों को मोबाइल की लत लग गई।
टीचर व पैरेंट्स शिकायत कर रहे हैं कि कई बच्चों को पीछे बैठाने पर ब्लैक बोर्ड पर लिखा नजर नहीं आ रहा। ऐसे में स्कूल में लगे कैंप व अस्पताल में हुई जांच में उनकी नजर कम पाई गई। जरूरी जांच के बाद बच्चों को चश्मे भी लगाए गए। यही नहीं स्मार्ट फोन की लत से बच्चों के चश्मे के नंबर बढ़ते जा रहे हैं।
आंख को स्वस्थ रखने के लिए ये करें
नियमित रूप से बच्चों की आंखों की जांच करवाएं। फल, सब्जियां, साबुत अनाज व प्रोटीन खाने को दें। कम से कम 9 घंटे की पर्याप्त नींद दें। बच्चों को टीवी, कप्यूटर या स्मार्टफोन देखना कम करें। 20 से 30 मिनट में 20 सेकंड के लिए कम से कम 20 फीट की दूर की चीजें देखने कहें। आंखों को रगड़ने से बचाएं। इससे जलन व सूजन हो सकती है।
चश्मा नियमित लगाएं ।
टॉपिक एक्सपर्ट
सीनियर नेत्र रोग विशेषज्ञ रायपुर डॉ. संतोष सिंह पटेल ने कहा की
कोरोनाकाल के बाद नि:संदेह बच्चों से लेकर किशारों की नजर कमजोर हुई है। ये हमारे लिए एक चेतावनी है। चश्मे तो लग ही रहे हैं, नंबर भी तेजी से बदल रहे हैं, जो चिंताजनक है। पैरेंट्स बच्चों को स्मार्ट फोन व टीवी से दूर रखें तो बेहतर है। आंख में कोई समस्या होने पर तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं।
नेहरू मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर उबेजा मल्होत्रा ने कहा की नेत्र आंखों का विजन कमजोर होने के लिए स्क्रीन टाइम का बढ़ना है, चाहे वह स्मार्ट फोन का हो या टीवी का। बच्चों की नजर कमजोर होने के लिए काफी हद तक पैरेंट्स भी जिमेदार हैं। बचपन से बच्चों को मोबाइल फोन पकड़ा दिया जाता है, जिससे वह बच्चों को बिजी रख कर अपना काम कर सकें। यह आदत सही नहीं है।
मायोपिया व हाइपरोपिया रिफ्रेक्टिव एरर के कारण
आंखों का विजन कमजोर होने का प्रमुख कारण रिफ्रेक्टिव एरर होता है। इसके कारण मायोपिया, हाइपरोपिया की समस्या बढ़ जाती है। अपवर्तक त्रुटियां की समस्या तब होती हैं, जब आंख सीधे रेटिना पर प्रकाश केंद्रित करने में असमर्थ होती है। ज्यादा स्क्रीन टाइम बिताना बच्चों में विजन कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण है। चश्मे में ब्लू रेज रोकने वाले लेंस लगाए तो जाते हैं, लेकिन ज्यादातर बच्चे सोकर मोबाइल देखते हैं, जिससे वे चश्मा निकाल देते हैं। इससे उनका विजन कमजोर हो जाता है।