NEET PG Counselling 2025: दूसरी बार काउंसलिंग निरस्त…
दूसरी बार
काउंसलिंग निरस्त होने से एडमिशन लेकर पढ़ाई कर रहे छात्र हलाकान हो चुके हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी भी पीजी जैसी काउंसलिंग को बार-बार रद्द करने से परेशान हो रहे हैं। शुक्रवार को कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन किरण कौशल ने काउंसलिंग कमेटी को तलब कर मामले की जानकारी ली और कथित गड़बड़ियों पर फटकार भी लगाई। इस पर कमेटी के अध्यक्ष व सदस्यों ने कहा कि बोनस नंबर देने में चिकित्सा शिक्षा विभाग की कोई भूमिका नहीं है।
दरअसल, 17 नवंबर को हाईकोर्ट में केस दायर होने के बाद स्ट्रे राउंड की च्वॉइस फिलिंग स्थगित की गई थी। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार किया जा रहा था। प्रदेश में तीन राउंड की काउंसलिंग पूरी हो चुकी है। स्ट्रे वैकेंसी यानी यह आखिरी राउंड की काउंसलिंग होनी थी, जो अब अधर में चली गई है। अब नए सिरे से व पहले राउंड से आवंटन सूची व एडमिशन प्रक्रिया शुरू करनी होगी। यानी पूरी काउंसलिंग में देरी हो चुकी है।
स्टेट कोटे में दो तरह की सीट
पीजी में प्रवेश की आखिरी तारीख 28 फरवरी थी, जो निकल गई है। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद नेशनल मेडिकल कमीशन से नई तारीखों के लिए अनुमति लेनी होगी। ऐसा नहीं करने पर कई तकनीकी समस्या आ सकती है। पीजी कोर्स में स्टेट कोटे में दो तरह की सीट होती है। एक फ्रेश कंडीडेट के लिए और दूसरा इनसर्विस कोटे के डॉक्टरों के लिए। जो डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग के तहत सरकारी नौकरी में है, वे अनुमति के बाद पीजी कर सकते हैं। इसलिए उन्हें सेवा के व एरिया के अनुसार बोनस अंक दिया जाता है। सारा खेल इसी में होता है।
बोनस नंबर में लेनदेन का हल्ला, जो पात्र नहीं उन्हें भी ज्यादा अंक
दरअसल डॉक्टर जिस जगह पर पदस्थ होता है, वहां के सीएमएचओ, डीएचएस को बोनस नंबर भेजता है। इसमें लेनदेन का भी हल्ला है। यह बोनस नंबर फिर डीएचएस से जारी होता है। फिर इनसर्विस का डॉक्टर इस बोनस सर्टिफिकेट को काउंसलिंग के पहले डीएमई की वेबसाइट पर अपलोड करता है। नीट स्कोर व बोनस नंबर को जोड़कर मेरिट सूची बनती है। स्कोर व च्वॉइस फिलिंग के अनुसार छात्रों को संबंधित कॉलेजों में पीजी सीटों का आवंटन किया जाता है। बोनस अंक ज्यादा मिलने पर कई बार छात्रों को अच्छे विभाग की सीट मिल जाती है। वही कई लोग वंचित हो जाते हैं।
टॉप-10 में दो छात्रों को मिली थी रेडियो डायग्नोसिस की सीट
एमडी-एमएस कोर्स की पहली आवंटन सूची में टॉप 10 में केवल दो छात्रों को रेडियो डायग्नोसिस की सीटें मिली थीं। यह ट्रेंड पिछले साल की तरह ही है। पहली पसंद जनरल मेडिसिन रही। 6 छात्रों को जनरल मेडिसिन, एक को डर्मेटोलॉजी व एक अन्य को पीडियाट्रिक्स की सीट मिली है।
वहीं, टॉपरों ने ऑब्स एंड गायनी की सीट को नहीं चुना। पहली सूची में 261 छात्रों को सीटें आवंटित की गई थी। टॉप 10 में पहली बार सिम्स की एंट्री हुई है। एमडी मेडिसिन की दो सीट सिम्स बिलासपुर के छात्रों को दी गई है। प्रदेश में पीजी की 502 सीटें हैं। सरकारी व निजी कॉलेजों में पीजी कोर्स का संचालन हो रहा है।
डॉ. किरण कौशल, कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन: इनसर्विस कोटे के डॉक्टरों को बोनस नंबर देने का काम स्वास्थ्य विभाग का है। बोनस सर्टिफिकेट के अनुसार, मेरिट सूची बनती है और सीटों का आवंटन किया जाता है। अगर छात्र ने गलत बोनस सर्टिफिकेट बनाया है तो चिकित्सा शिक्षा विभाग की इसमें कोई भूमिका नहीं है। हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार किया जा रहा है।
14 अंक ज्यादा बोनस दे दिया, मिल गई थी रेडियो डायग्नोसिस की सीट
NEET PG Counselling 2025: डीएमई कार्यालय ने 21 नवंबर को पहले राउंड की आवंटन सूची जारी की थी। तब एडमिशन की आखिरी तारीख 28 नवंबर थी। इसे बढ़ाकर 30 नवंबर किया गया था। दरअसल, सूरजपुर के डॉ. यश कुमार को 16 के बजाय 30 अंक मिलने से वह मेरिट में टॉप 10 में नवें नंबर पर आ गया था। उन्हें नेहरू मेडिकल कॉलेज
रायपुर में रेडियो डायग्नोसिस जैसी महत्वपूर्ण सीट मिल गई थी। बोनस अंक घटने के बाद कोई सीट नहीं मिली। वहीं, मामले की शिकायत करने वाली डॉ. अपूर्वा चंद्राकर को रायपुर में रेडियो डायग्नोसिस की एमडी सीट मिल गई। इसके पहले उन्हें सिम्स बिलासपुर में स्किन की सीट मिली थी।