महिला ने की ऐसी शिकायत कि टेंशन में आ गए प्रिंसीपल, हार्ट अटैक से हो गई मौत
पीलूखेड़ी में ही सूख गई पार्वतीकुरावर में गर्मी की शुरुआत में ही औद्योगिक क्षेत्र पीलूखेड़ी से होकर निकली पार्वती नदी में पानी सूख गया है। नदी का मुख्य पाट सड़क के गड्ढ़ों की तरह नजर आ रहा है। पीलूखेड़ी औद्योगिक क्षेत्र में ग्राम पंचायत की जल आवर्धन योजना के अंतर्गत नलों के माध्यम से नदी से जल प्रदाय किया जाता है। पार्वती नदी में पानी न होने के कारण गांव के आधे हिस्से में ही जल प्रदाय किया जा रहा है। आगामी समय में और पेयजल सप्लाई में कमी और बढ़ सकती है। इससे पानी की किल्लत आना तय माना जा रहा है। बारिश के समय यह नदी लबालब रहती है, अब पानी न के बराबर रह गया है।
राजगढ़ में नेवज नदी पर मोहनपुरा डैम के निर्माण के बाद नदी के साल भर पानी से लबालब रहने की उम्मीद थी। डैम बन जाने से डूब क्षेत्र में तो सालभर पानी रहता है लेकिन नदी के नीचे के हिस्सा की हालत खराब है। नेवज नदी के इस हिस्से में पहले पानी बहते हुए नजर आता था लेकिन अब जिस जगह बेराज बने हैं सिर्फ वहीं पानी रहता है। यह नदी जगह-जगह सूखी पड़ी है। कई जगह नदी के अंदर ईंट भट्टे संचालित होते हैं, तो कुछ जगह लोगों ने नदी के किनारे ही मकान बना लिए हैं। साल भर बहने वाली नेवज नदी पर इसका असर साफ नजर आ रहा है।
खिलचीपुर में गाढ़गंगा नदी गर्मी शुरू होने के साथ ही सूखने लगती है। इस नदी को गहरीकरण की जरूरत है। हर बार साफ सफाई करने के बाद इसे यूं ही छोड़ दिया जाता है। यदि नदी का गहरीकरण हो तो खिलचीपुर शहर के आसपास पानी साल भर बना रह सकता है। नदी के गहरीकरण को लेकर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। दो दिन पहले ही जब नगर वासियों द्वारा खिलचीपुर में शाही स्नान का आयोजन रखा गया, तो नदी में पानी ही नहीं था। ऐसे में मोहनपुरा डेम की नहर से पानी लाकर नदी में छोड़ा गया तब कहीं जाकर यह बड़ा आयोजन हो सका।
ब्यावरा में किसी जमाने में पूरे समय लबालब रहने वाली अजनार नदी का इन दिनों उदगम स्थल ही सूख गया है। यह ब्यावरा से कालीपीठ, राजस्थान के दांगीपुरा, अकलेरा होकर झालरापाटन के पास तीन धार में कालीसिंध नदी में जाकर मिल जाती है। अजनार का उदगम स्थल ब्यावरा-नरसिंहगढ़ के मध्य स्थित आंदलहेड़ा गांव हैं जहां नदी में पानी को सहेजकर रखने की व्यवस्था नहीं है। जिस क्षेत्र से यह आती है वह अति जल दोहन वाला हिस्सा है। साथ ही नदी का पाट भी सकरा है। छोटे-मोटे नालों का पानी नदी में मिलकर ब्यावरा तक पहुंचता है।
सारंगपुर क्षेत्र की जीवनदायनी कही जाने वाली कालीसिंध नदी को संरक्षण की सख्त जरूरत है। यहां शहरी क्षेत्र के बगल के हिस्से में पानी ही नही बचा है। गर्मी की अभी शुरुआत है, आने वाले समय में पानी की परेशानी बढ़ सकती है। हालांकि नदी के दूसरे छोर पर कुंडालिया डैम बना हुआ है, लेकिन इसका पानी यहां तक नहीं है। नदी में पूरे शहर का गंदा पानी, नालियां इत्यादि मिलते हैं। साथ ही पेय जल के लिए बनाए गए फिल्टर प्लांट तक में भी पानी की कमी हो रही है। इस नदी को संवारने की जरूरत महसूस की जा रही है। यहां प्रशासनिक स्तर पर प्रयासों की दरकार है।