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तेंदूपत्ता की क्वालिटी उच्च स्तर की है। यहां के तेंदूपत्ता की मांग आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र व पश्चिम बंगाल में अधिक है। इन जगहों के ठेकेदार हर साल नीलामी में भाग लेते हैं और तेंदूपत्ता की तोड़ाई के बाद अपने राज्यों में ऊंची कीमत पर बिक्री करते हैं। इससे वन विभाग की भी अच्छी कमाई हो जाती है। तेंदूपत्ता के संग्रहण में लगे ग्रामीणों को भी इस सीजन का बेसब्री से इंतजार होता है।
राजनांदगांव जिले के साथ-साथ नवगठित जिला मोहला-मानपुर व खैरागढ़ के वन परिक्षेत्रों में तेंदूपत्ता की तोड़ाई शुरू हो गई है। जिले के बागनदी परिक्षेत्र के 6 समितियों में 5 मई से तोड़ाई शुरू है। अन्य 44 समितियों में बुधवार से तोड़ाई शुरू हुई है। तोड़ाई के लिए 50 समितियां बनाई गई हैं। राजनांदगांव के बागनदी, छुरिया, आसरा, जोब व मोहला-मानपुर, अंबागढ़ चौकी, खैरागढ़ के साल्हेवारा व बकरकट्टा क्षेत्र के तेंदूपत्ता की क्वालिटी उच्च स्तर की है। तेंदूपत्ता का संग्रहण करने वालों के लिए इस साल मेहनताना की राशि बढ़ा दी गई है। 5500 रुपए प्रति हजार मानक बोरा पारिश्रमिक दी जा रही है। तेंदूपत्ता संग्रहण करने के लिए 639 फड़ तैयार किए गए हैं।
तीनों जिले में तेंदूपत्ता की तोड़ाई शुरू हो गई है। इस साल 80 हजार 800 मानक बोरा तोड़ाई का लक्ष्य है। बागनदी परिक्षेत्र के 6 समितियों में 5 मई एवं अन्य 44 समितियों में 7 मई बुधवार से तोड़ाई का शुरू हुई है।
योगेश साहू,सडीओ वन विभाग राजनांदगांव तेंदूपत्ता तोड़ाई के दौरान नक्सल प्रभावित क्षेत्र मोहला-मानपुर क्षेत्र में नक्सलियों की सक्रियता बढ़ जाती है। ये ठेकेदारों से उगाही करते हैं। वहीं रकम नहीं देने पर आगजनी की घटना को अंजाम देते हैं। इसलिए वन विभाग ने तोड़ाई के पहले पुलिस से संपर्क कर सुरक्षा देने की मांग की थी। पुलिस द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहण के संवेदनशील जगहों पर सुरक्षा बल की तैनाती की गई है। सुरक्षा बल के जवान इन क्षेत्रों में लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं।