आयुक्त ने
स्वास्थ्य विभाग को उक्त दिवस पर मांस विक्रय करते पाये जाने पर मांस जप्त करने, 5000 रूपये अर्थदण्ड वसूलने एवं संबंधित के विरूद्ध यथोचित कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। स्वच्छता निरीक्षकों से कहा कि उपरोक्त आदेश का कड़ाई से पालन करना सुनिश्चित करे एवं अपने संबंधित क्षेत्रों में पर्यवेक्षण रखे।
भगवान झूलेलाल जयंती (चेटीचंड) का महत्व
यह पर्व सिंधी नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी है और इसे उल्लास व आस्था के साथ मनाया जाता है। भगवान झूलेलाल का जन्म 10वीं शताब्दी में सिंध (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उस समय मीरख़ शाह नामक शासक ने हिंदुओं पर जबरन इस्लाम स्वीकार करने का दबाव बनाया। तब भगवान झूलेलाल ने धार्मिक सहिष्णुता, प्रेम और एकता का संदेश दिया और हिंदू धर्म की रक्षा की। इसलिए, उन्हें सिंधियों का रक्षक माना जाता है।
भगवान झूलेलाल को जल देवता वरुण का अवतार माना जाता है। इस दिन लोग नदियों, तालाबों और समुद्र के किनारे जाकर पूजा करते हैं और “बहाणा साहिब” की भव्य शोभायात्रा निकालते हैं। इस शोभायात्रा में भगवान झूलेलाल की झांकी सजाई जाती है और भक्त “झूलेलाल जी जयकारा” लगाते हैं।