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राजस्थान सरकार ने यह योजना की शुरू, लेकिन इस शर्त से काश्तकार हो रहे परेशान काट रहे चक्कर…पढ़े पूरी खबर

राजस्थान सरकार की ओर से बैलों से खेती को बढ़ावा देने के लिए लघु एवं सीमांत कृषकों को प्रोत्साहन राशि के रूप में 30 हजार रुपए दिए जाएंगे। इसका लाभ उठाने के लिए बैलों का बीमा होना आवश्यक है, लेकिन स्थिति यह है कि बीमा करने वाली एजेंसी सिर्फ दुधारू पशुओं का बीमा करती है, वह बैलों का बीमा नहीं कर रही है।

राजसमंदApr 24, 2025 / 11:09 am

himanshu dhawal

हिमांशु धवल
राजसमंद.
प्रदेश में बैलौं से खेती को बढ़ावा देने के लिए लघु एवं सीमांत कृषकों को प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रतिवर्ष 30 हजार रुपए दिए जाएंगे। इसके लिए पोर्टल पर आवेदन करना होगो, लेकिन स्थिति यह है कि बैलों का बीमा कौन और कैसे करेगा इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है। इसके कारण काश्तकार कृषि विभाग और पशुपालन विभाग के चक्कर काटने को मजबूर है। राज्य सरकार की ओर से मुख्यमंत्री बजट घोषणा के तहत लघु एवं सीमांत कृषकों को बैलों से खेती किए जाने पर प्रोत्साहन राशि के रूप में 30 हजार रुपए प्रतिवर्ष उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके लिए कृषि आयुक्तालय की ओर से सभी मुख्य कार्यकारी अधिकारी को दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। इसमें बताया कि काश्तकारों को ई-मित्र पर जाकर अथवा स्वयं के स्तर पर राजकिसान साथी पोर्टल पर जनाआधार के माध्यम से आवेदन करना होगा। इसमें पशु बीमा पॉलिसी एवं स्वास्थ्य प्रमाण पत्र भी अपलोड करना आवश्यक होगा। लेकिन इसमें बैंलों का बीमा कौनसी एजेंसी करेगी इसका कोई भी उल्लेख नहीं है। जानकारों की मानें तो प्राइवेट एजेंसी पशुओं का बीमा करती है, लेकिन वह सिर्फ दुधारू पशुओं का बीमा करती है। एजेसिंयां भी बैलों का बीमा करने से मना कर रही है। इसके चलते किसानों के लिए समजंस्य की स्थिति बन गई है। वह कभी पशुपालन विभाग तो कभी कृषि विभाग के चक्कर काटने को मजबूर है लेकिन उसे कहीं से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है।

यह अनुदान के लिए शर्ते

  • कृषक के पास एक जोड़ी बैल होने चाहिए, जिनका उपयोग वह कृषि कार्य में करता हो।
  • कृषक लघु/सीमांत हो इसका प्रमाण पत्र तहसीलदार से प्रमाणित और भूमि का विवरण होना चाहिए।
  • बैलों का पशु बीमा और स्वास्थ्य प्रमाण पत्र अपलोड करना होगा, 15 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए
  • बैलों की जोड़़ी की कृषक के साथ फोटो पोर्टल पर अपलोड करनी होगी

योजना के तहत होना यह चाहिए

कृषि विभाग को पशुपालन विभाग की मंगला पशु बीमा योजना की तर्ज पर बैलों का बीमा करवाना चाहिए। पशुपालन विभाग ने पशुओं के बीमे की जिम्मेदारी एसआईपीएफ एजेंसी को सौंपी है। उसी के माध्यम से पशुओं को बीमा किया गया है। इसी प्रकार कृषि विभाग को भी पशुओं का बीमा करने वाली एजेंसी से मिलकर बैलों के बीमा कराया जाना चाहिए। इससे काश्तकारों को भी राहत मिलेगी।

उच्चाधिकारियों से मांग रहे मार्गदर्शन

सरकार की ओर से बैलों से खेती को प्रोत्साहन देने के लिए योजना में 30 हजार रुपए प्रतिवर्ष दिए जाएंगे। इसमें बैलों का बीमा कराने में परेशानी की बात सामने आई है। एजेंसी सिर्फ दुधारू पशुओं का बीमा कर रही है। उक्त समस्या के समाधान के लिए उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन मांगा जा रहा है।
  • भूपेन्द्र सिंह, संयुक्त निदेशक कृषि विभाग विस्तार राजसमंद

पशुओं के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र देने का काम

बैलों से खेती को प्रोत्साहन देने की योजना में पशुपालन विभाग का काम बैलों के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने का है। बैलों का बीमा कृषि विभाग को करवाना है। किसान कोई बैल लेकर आएगा तो जांच के बाद बैलों का स्वास्थ्य प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने की पूरी तैयारी है।

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