यह लोगों के काम में अड़चन डालता है, स्वास्थ्य प्रभावित होता है। इसी को लेकर एक भक्त ने सवाल पूछा कि क्या नजर के कारण शुभ काम में अड़चन आती है? प्रेमानंद महाराज ने इसका जो उत्तर दिया, उसका वीडियो वायरल हो रहा है।
क्या नजर से घटने लगता है धनवान का धन ?
दरअसल, श्रीहित राधा कुंज केलि आश्रम में मुंबई से एक भक्त आया था। इन्होंने एकांतिक वार्तालाप में कहा कि श्रीगुरु ग्रंथ साहिब में कहा गया है कि हुमुम ए अंदर सब कुछ, बाहर हुकुम न कोय यानी सब कुछ परमात्मा के हुकुम से ही होता है, ऐसे में दुनियावी नजर लगने की क्या अहमियत है ? क्या आह भरी दृष्टि या नकारात्मक प्रशंसा से किसी धनवान का धन घटने लगता है, क्या ऐसा संभव है ?
प्रेमानंद महाराज ने दिया जवाब
इस पर प्रेमानंद महाराज ने प्रवचन में कहा कि उस पर नजर टिक जाय तो काल की भी नजर नहीं लगती है। बताया कि जिए काल बस ना परै, समुझि जाय शरण ते डरत ना काल डर, कहा कि नजर लगने जैसी बातें सिर्फ अंध विश्वास हैं। ऐसे तो समस्त संसार नष्ट हो जाए, जो अधर्माचरण करने वाले हैं, दूसरों को दुख देकर खुश होने वाले हैं, उनकी तो यही इच्छा है कि हम मिटा दें, लेकिन क्या यह संभव है। सबका मालिक ईश्वर है, ऐसे में कोई क्या दूसरे को नजर लगा पाएगा।
इस काम से तंत्र-मंत्र शाप का नहीं होगा असर
प्रेमानंद महाराज ने प्रवचन में कहा कि नजर वालों में जो भी नजर है प्रभु की, यदि आप प्रभु की नजर देखोगे तो आपका अमंगल नहीं हो सकता है। कोई भी तंत्र, कोई भी मंत्र कोई भी शाप, प्रतिकूलता परास्त नहीं कर सकती, यदि भगवान की कृपा आप पर हो।सारी सृष्टि पर ही भगवान की नजर होती है, इसी से सभी देख पाते हैं, उसकी नजर हट जाए तो सबकी नजर बंद हो जाय। महाराज जी ने कहा कि गुरुवाणी की पहली बात न भूलिए, उसी ईश्वर की शक्ति अंदर है न हों तो हमारी आंखें देख नहीं पाएंगी। क्योंकि जो भी देख रहा है मालिक ही देख रहा है तो अमंगल कैसे हो सकता है।
भ्रम है नजर दोष, जादू टोना सच नहीं
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि नजर दोष भ्रम है। इसके पीछे हमारे कर्म और उनके फल होते हैं। किसी इंसान की कही बात कभी सच हो जाय तो इसका अर्थ है कि कभी कभी किसी का तुक्का लग जाता है। उदाहरण है कि व्यक्ति के पुण्य खत्म होने के बाद पाप कर्मों के फल मिलने लगते हैं, और पाप कर्म क्षीण होने के बाद पुण्यों का फल उदित होता है। इस बीच किसी की बोली खराब बात सही हो जाती है तो हमें लगता है कि अमुक बाबा की भविष्यवाणी हो गई।यह जान लो कि कोई किसी का काम बनाता बिगाड़ता नहीं है, कोऊ न काहु के सुख दुख कर दाता, निज कृत कर्म भोग सुन भ्राता। अपने कर्म का भोग सबको स्वयं ही भोगना पड़ता है। अब कोई यहां आया सत्संग किया, ये उसके सतकर्म हैं। ये पुण्य है, इसके प्रभाव से भक्त का इच्छित काम बन गया तो यह उसका कर्म फल है। जादू टोने जैसी कोई बात सच नहीं है।
इस तरह के काम सिर्फ अंध विश्वास
प्रेमानंद महाराज ने प्रवचन में कहा कि आजकल कई लोग घर के बाहर बुरी शक्तियों से बचने के लिए राक्षस की तस्वीर लगा देते हैं, कोई उल्टा जूता टांग देता है, ये महज अंधविश्वास है। उल्टा जूता टांगने से कल्याण नहीं होगा। घर के बाहर छवि लगानी ही है तो भगवान की छवि लगाइये।