scriptShiv Mandir Jaipur: 400 साल पुराना है ये महादेव का मंदिर, 11 रुद्र शिव अवतार की होती है पूजा | This Historical Shiv Mandir is 400 year old 11 rudra shiva avtar in Amer Ghati Mahadev Mandir | Patrika News
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Shiv Mandir Jaipur: 400 साल पुराना है ये महादेव का मंदिर, 11 रुद्र शिव अवतार की होती है पूजा

Shiv Mandir Jaipur : सिसोदिया रानी के बाग के सामने स्थित है एक अत्यंत विशेष और प्राचीन शिव मंदिर 11 रूद्र महादेव मंदिर। यह मंदिर न केवल स्थापत्य और आस्था का प्रतीक है, बल्कि शिव भक्ति की उस परंपरा को भी जीवंत करता है, जिसमें भगवान शिव के 11 रूद्र अवतारों की एक साथ पूजा की जाती है। आईए जानते हैं गोमुख से निकली जल और 11 रूद्रों की गाथा की पुरानी कहानी।

जयपुरJul 13, 2025 / 04:35 pm

MEGHA ROY

Jaipur ancient Shiva temples

Jaipur ancient Shiva temples

Shiv Mandir Jaipur: जयपुर की गुलाबी दीवारों से परे, सिसोदिया रानी के बाग के सामने स्थित है एक अत्यंत विशेष और प्राचीन शिव मंदिर 11 रूद्र महादेव मंदिर। यह मंदिर न केवल स्थापत्य और आस्था का प्रतीक है, बल्कि शिव भक्ति की उस परंपरा को भी जीवंत करता है, जिसमें भगवान शिव के 11 रूद्र अवतारों की एक साथ पूजा की जाती है। यहां शिव के रूद्र रूपों कपाली, चिंगत, भीम, विरूपाक्ष, विलोहित, शास्ता, आजपाव, अहीरभुन्य, विम्भूष्ठ और भव की भव्य प्रतिमाएं स्थापित हैं। प्रत्येक रूद्र एक विशेष स्वरूप और शक्ति का प्रतीक है, और इनकी पूजा से भक्तों को जीवन की बाधाओं से मुक्ति मिलने का विश्वास है।आईए जानते हैं गोमुख से निकली जल और 11 रूद्रों की गाथा की पुरानी कहानी।

400 साल पुराना है ये महादेव का मंदिर

आमेर घाटी में स्थित 11 रुद्रमहादेव मंदिर लगभग 400 साल पुराना है। इसके अलावा आमेर घाटी के पास एक और 11 रुद्र महादेव मंदिर है, जो लगभग 100 साल पुराना माना जाता है। इन मंदिरों में भगवान शिव के 11 रुद्र रूप स्थापित हैं, जो आमेर क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का अहम हिस्सा हैं।

सिसोदिया रानी की भक्ति

17वीं सदी में जब सिसोदिया रानी ने यह मंदिर बनवाया था, तब उनका प्रसिद्ध सिसोदिया रानी का बाग भी अस्तित्व में नहीं था। रानी की शिवभक्ति इतनी गहरी थी कि उन्होंने मंदिर तक पहुंचने के लिए एक गुप्त सुरंग भी बनवाई थी, जिससे वे नियमित रूप से दर्शन के लिए आती थीं। आज भी इस मंदिर में रानी की भक्ति की छाया महसूस की जा सकती है।

जलसंरचना का जीवंत प्रमाण

मंदिर में भगवान शिव का अभिषेक आज भी उस जल से होता है, जो गोमुख से प्रवाहित होता है। यह जल मंदिर के पीछे स्थित दो प्राचीन कुओं से जुड़ी नहरों से आता है, जो उस युग की उत्कृष्ट जल संरचना को दर्शाता है। मिट्टी के सकोरे और पारंपरिक पाइपलाइन आज भी संरक्षित हैं और इस मंदिर की वास्तुकला में प्रकृति और अध्यात्म का अद्भुत संगम दिखाई देता है।

पार्वती का प्रणाम और भक्तों की श्रद्धा

मंदिर की विशेषता यह भी है कि यहां माता पार्वती को शिव के सामने प्रणाम करते हुए दिखाया गया है।यह दृश्य भक्तों के लिए अत्यंत भावुक और आध्यात्मिक अनुभव का माध्यम बनता है।

वेदों और पुराणों में रूद्रों की महिमा

ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार, शिव के इन 11 रूद्र रूपों का वर्णन शिव पुराण, स्कंद पुराण, और रुद्र सामवेद में विस्तार से मिलता है। रुद्राष्टकम, मृत्युंजय मंत्र, और शिव तांडव स्तोत्र जैसे अनेक वैदिक मंत्र इन स्वरूपों की शक्ति का गान करते हैं। रुद्र सामवेद में विशेष रूप से शिव के उग्र और विनाशकारी रूपों को दर्शाया गया है, जो सृष्टि के संतुलन और प्रलय दोनों के प्रतीक हैं।

पीढ़ियों से चला आ रहा सेवा-पूजा का परंपरा

वर्तमान में इस मंदिर की सेवा और पूजा पुजारी मुकेश शर्मा के परिवार द्वारा की जा रही है, जिनकी पांचवीं पीढ़ी यहां निरंतर सेवा में समर्पित है। हर श्रावण मास में हजारों श्रद्धालु यहां आकर शिव के रूद्र रूपों की पूजा करते हैं और जीवन में शांति, ऊर्जा और सुरक्षा की कामना करते हैं।

यहां हर श्रावण में जागती है शिवभक्ति की अग्नि

सिसोदिया रानी द्वारा स्थापित यह मंदिर केवल एक स्थापत्य कृति नहीं, बल्कि श्रद्धा और शिवभक्ति की जीवंत विरासत है। यहां का वातावरण, हरियाली, गोमुख से निकलता जल, और एक साथ पूजित 11 रूद्र रूप सब मिलकर इसे एक ऐसा आस्था स्थल बनाते हैं जहां भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होने की मान्यता है।

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