पूजा में क्यों जरूरी है सही रंग पहनना
रंगों का असर हमारे मन, सोच और ऊर्जा पर पड़ता है। पूजा में अच्छे रंग मन को शांत रखते हैं और सकारात्मक माहौल बनाते हैं। वहीं, कुछ रंग नकारात्मक ऊर्जा लाते हैं और पूजा की भावना को बिगाड़ सकते हैं।
किन रंगों से बनाएं दुरी
काले रंग
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काले रंग को तमसिक प्रवृत्ति का प्रतीक माना जाता है। यह रंग नकारात्मक ऊर्जा, शोक और क्रोध को दर्शाता है। सावन जैसे सात्त्विक महीने में जब भक्त ध्यान, पूजा और ध्यान साधना में लीन होते हैं, तब इस रंग का उपयोग वातावरण में भारीपन ला सकता है। भगवान शिव की पूजा में यह रंग अनुचित माना गया है। इसलिए मंदिर में दर्शन या पूजा करते समय काले वस्त्र न पहनना ही उचित होता है।
भूरा रंग
भूरा रंग अक्सर सुस्ती और भारीपन का प्रतीक माना जाता है। पूजा के दौरान यह रंग मन को ऊर्जा की बजाय थका हुआ और निरुत्साहित बना सकता है, जिससे पूजा का सकारात्मक प्रभाव प्रभावित हो सकता है।
खाकी रंग
खाकी रंग अनुशासन और सादगी का प्रतीक होता है, लेकिन पूजा के समय यह रंग भावहीनता और विरक्ति का आभास दे सकता है। इससे भक्ति भाव कमजोर हो सकता है, और पूजा का माहौल भी हल्का या नीरस प्रतीत हो सकता है।
सावन में पहनें ये शुभ रंग
हरे रंग को सावन में सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा सफेद, पीला और हल्का नीला रंग भी अच्छे माने जाते हैं। ये रंग शांति, पवित्रता और भक्ति भाव को बढ़ाते हैं। इसलिए सावन में पूजा करते समय कपड़ों का रंग भी सोच-समझकर चुनें, ताकि आपकी भक्ति पूरी श्रद्धा और सकारात्मक ऊर्जा के साथ हो।
महादेव के अत्यंत प्रिय रंग
महादेव को चार प्रमुख रंग अत्यंत प्रिय हैं। हरा रंग सावन के मौसम की हरियाली और ताजगी का प्रतीक है, इसलिए यह रंग भगवान शिव को बहुत पसंद है। लाल रंग उनकी विनाशक शक्ति और बुराई का नाश करने वाले स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है। पीला रंग ज्ञान और आध्यात्म का प्रतीक है, जो शिव जी को आदि गुरु और ज्ञान दाता के रूप में दर्शाता है। वहीं, सफेद रंग उनके शांत, निर्मल और शांति पूर्ण स्वरूप को दर्शाता है। ये रंग महादेव के विभिन्न रूपों और उनकी शक्तियों का परिचायक हैं।