संगम के घाटों का महत्व (Importance of Sangam Ghats)
महाकुंभ के आयोजन और त्रिवेणी संगम की वजह से प्रयागराज दुनिभर में चर्चा में रहता है। यह शहर अपनी अलौकिक पवित्रता के लिए भी जाना जाता है। क्योंकि यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती तीनों पवित्र नदियों का संगम है, जो त्रिवेणी के नाम से मशहूर है। प्रयागराज का नाम धार्मिक ग्रंथों में दर्ज है। यही वजह है कि संगम के पवित्र घाटों का धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व और अधिक बढ़ जाता है। अगर आप महाकुंभ के महापर्व में शामिल होने जा रहे हैं तो इन पवित्र घाटों का महत्व जानना बहुत जरुरी है।
हांडी फोड़ घाट (Handi Fod Ghat)
हाड़ी घाट प्रयागराज के प्रचीन घटों में से एक है। यह घाट सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए मशहूर है। इस घाट पर श्रद्धालु शांत लहरों और नदियों की मधुर ध्वनियों का आनंद लेते हैं। यहां का पवित्र वातावरण इसको और भी आकर्षक बनती है।
दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat)
दशाश्वमेध घाट संगम के पवित्र और धार्मिक घाटों में से एक है, जो पौराणिक और धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण है। धार्मिक मान्यता है कि इस पवित्र घाट पर ब्रह्माजी ने दस अश्वमेध यज्ञ किए थे। इस घाट पर महाकुंभ के दौरान गंगा आरती और भजन-पूजा की जाती है, इसकी धार्मिक विशेषता को दर्शाता है।
केदार घाट (Kedar Ghat)
केदार घाट भगवान शिव की पूजा का विशेष स्थान है। यहां भक्त पवित्र स्नान करके भगवान शिव की आराधना करते हैं। क्योंकि यह भगवान शिव को समर्पित माना जाता है।
संगम घाट (Sangam Ghat)
संगम घाट त्रिवेणी के प्रमुख घाटों में से एक है। महाकुंभ के दौरान यह घाट आस्था और आकर्षण का प्रमुख केंद्र माना जाता है। क्योंकि यही वह घाट है जिसको संगम कहा जाता है। इस घाट पर ही तीनों पवित्र नदियों का मिलन होता है। धार्मिक मान्यता है कि महाकुंभ के समय जो लोग इस घाट पर स्नान करते हैं उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सभी पाप नष्ट होते हैं।