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जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के मर्जर की प्रक्रिया तेज, इसी माह एक होंगे दोनों परिसर

डीएमई व विभागीय कमिश्नर का दौरा स्थगित, जल्द एक हो सकते हैं दोनों संस्थान सागर. जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के मर्जर को लेकर मंत्री परिषद के निर्णय पर 4 माह बाद भी अमल नहीं हो पाया है। जब भी मर्जर की सुगबुगाहट शुरू होती है, लोकल स्तर पर विरोध शुरू हो जाता है। एक […]

सागरFeb 06, 2025 / 07:36 pm

नितिन सदाफल

BMC

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डीएमई व विभागीय कमिश्नर का दौरा स्थगित, जल्द एक हो सकते हैं दोनों संस्थान

सागर. जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के मर्जर को लेकर मंत्री परिषद के निर्णय पर 4 माह बाद भी अमल नहीं हो पाया है। जब भी मर्जर की सुगबुगाहट शुरू होती है, लोकल स्तर पर विरोध शुरू हो जाता है। एक बार फिर अब मर्जर की प्रक्रिया तेज हो गई है। जिला अस्पताल के डॉक्टर्स की नाराजगी दूर करने के प्रयास हो रहे हैं और डॉक्टर्स से सहमति भी ली जा रही है। विभागीय सूत्रों की माने तो इसी माह दोनों ही संस्थान एक हो सकते हैं। मर्जर को लेकर गुरुवार को डीएमई व विभागीय कमिश्नर का संभावित दौरा था, जो स्थगित हो जाने पर एक बार फिर चर्चाएं चल रहीं हैं। वहीं मर्जर को लेकर कोई निर्णय न होने से मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल के कई प्रोजेक्ट अटके हुए हैं, जिसका सीधा असर क्षेत्र की जनता पर पड़ रहा है। अधर में लटके प्रोजेक्ट के कारण स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार नहीं हो रहा है।

…तो इस माह एक हो जाएगा परिसर-

विभागीय अधिकारियों की माने तो मर्जर को लेकर अब स्पष्ट निर्देश हैं कि जिला अस्पताल के जो कर्मचारी बीएमसी में मर्ज हो सकते हैं या उन्हें यहीं रखा जाए और जो स्टाफ बचता है, उन्हें जिले की अस्पतालों में स्थानांतरित किया जा सकता है। मर्जर को लेकर 4 माह में 30 से अधिक बैठकें हो चुकीं हैं, लेकिन निर्णय नहीं हो पाया है, विभागीय प्रमुख अधिकारी जल्द सागर आ सकते हैं और डॉक्टर्स में सहमति बनाई जा रही है।

नेता भी ले रहे यू टर्न

जिला अस्पताल के डॉक्टर्स अपने संगठन से सपोर्ट मांग रहे हैं, वहीं क्षेत्र के कुछ नेता भी मर्जर को लेकर यू टर्न के मूड़ में हैं। जिन नेताओं ने मर्जर के लिए सागर से लेकर भोपाल के अधिकारियों के बैठकें कीं, अब वो भी कह रहे हैं कि जिले में मेडिकल कॉलेज के अलावा एक जिला अस्पताल भी होना जरूरी है, ताकि गरीब मरीजों को इलाज के लिए दो विकल्प मिल सकें।

मंत्री परिषद ने लिया था विलय का निर्णय

स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार व पीजी-यूजी सीटों के वृद्धि के लिए क्षेत्रीय नेताओं की मांग पर अक्टूबर 2024 में मंत्री परिषद ने जिला अस्पताल के मेडिकल कॉलेज में विलय का निर्णय लिया था। यह प्रदेश का पहला मर्जर था। जिला अस्पताल के डॉक्टर्स ने विरोध शुरू किया जो भोपाल तक पहुंचा और कुछ स्थानीय लोगों ने विरोध जताया। विलय के दिशा-निर्देश बनाने में भी देरी हुई, जिससे अभी तक यह मामला अटका रहा।

इसलिए हो रहा विरोध

जिला अस्पताल के डॉक्टर्स में नई पदस्थापना को लेकर असंतोष है, क्योंकि जिला अस्पताल में जो डॉक्टर पीजी डिग्री वाले हैं उन्हें तो मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया जा रहा है, लेकिन जो डॉक्टर्स केवल पीजी डिप्लोमा वाले हैं, लेकिन काफी वरिष्ठ हैं, उन्हें मेडिकल ऑफिसर ही बनाया जाएगा। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डीन के लगभग बराबर वरिष्ठता रखते हैं, लेकिन उन्हें भी मेडिकल ऑफिसर का पद दिया जा रहा। डॉक्टरों ने विरोध शुरू किया है, लेकिन खुलकर सामने नहीं आ रहे।
-मर्जर को लेकर प्रक्रिया चल रही है, मर्जर का निर्णय मंत्री परिषद का है। शासन से जो निर्देश आएंगे, उसका पालन किया जाएगा।
-डॉ. पीएस ठाकुर, डीन बीएमसी।

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