…तो इस माह एक हो जाएगा परिसर-
विभागीय अधिकारियों की माने तो मर्जर को लेकर अब स्पष्ट निर्देश हैं कि जिला अस्पताल के जो कर्मचारी बीएमसी में मर्ज हो सकते हैं या उन्हें यहीं रखा जाए और जो स्टाफ बचता है, उन्हें जिले की अस्पतालों में स्थानांतरित किया जा सकता है। मर्जर को लेकर 4 माह में 30 से अधिक बैठकें हो चुकीं हैं, लेकिन निर्णय नहीं हो पाया है, विभागीय प्रमुख अधिकारी जल्द सागर आ सकते हैं और डॉक्टर्स में सहमति बनाई जा रही है।नेता भी ले रहे यू टर्न
जिला अस्पताल के डॉक्टर्स अपने संगठन से सपोर्ट मांग रहे हैं, वहीं क्षेत्र के कुछ नेता भी मर्जर को लेकर यू टर्न के मूड़ में हैं। जिन नेताओं ने मर्जर के लिए सागर से लेकर भोपाल के अधिकारियों के बैठकें कीं, अब वो भी कह रहे हैं कि जिले में मेडिकल कॉलेज के अलावा एक जिला अस्पताल भी होना जरूरी है, ताकि गरीब मरीजों को इलाज के लिए दो विकल्प मिल सकें।मंत्री परिषद ने लिया था विलय का निर्णय
स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार व पीजी-यूजी सीटों के वृद्धि के लिए क्षेत्रीय नेताओं की मांग पर अक्टूबर 2024 में मंत्री परिषद ने जिला अस्पताल के मेडिकल कॉलेज में विलय का निर्णय लिया था। यह प्रदेश का पहला मर्जर था। जिला अस्पताल के डॉक्टर्स ने विरोध शुरू किया जो भोपाल तक पहुंचा और कुछ स्थानीय लोगों ने विरोध जताया। विलय के दिशा-निर्देश बनाने में भी देरी हुई, जिससे अभी तक यह मामला अटका रहा।इसलिए हो रहा विरोध
जिला अस्पताल के डॉक्टर्स में नई पदस्थापना को लेकर असंतोष है, क्योंकि जिला अस्पताल में जो डॉक्टर पीजी डिग्री वाले हैं उन्हें तो मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया जा रहा है, लेकिन जो डॉक्टर्स केवल पीजी डिप्लोमा वाले हैं, लेकिन काफी वरिष्ठ हैं, उन्हें मेडिकल ऑफिसर ही बनाया जाएगा। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डीन के लगभग बराबर वरिष्ठता रखते हैं, लेकिन उन्हें भी मेडिकल ऑफिसर का पद दिया जा रहा। डॉक्टरों ने विरोध शुरू किया है, लेकिन खुलकर सामने नहीं आ रहे।-डॉ. पीएस ठाकुर, डीन बीएमसी।