सर्वे के दौरान हुई हिंसा
19 नवंबर 2024 को जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर होने का दावा पेश किया गया। इसके बाद उसी दिन सर्वे भी किया गया, लेकिन रात होने और भीड़ के बढ़ने के कारण एडवोकेट कमिश्नर ने दूसरे चरण में सर्वे कार्य पूरा करने का निर्णय लिया। दूसरे सर्वे के दिन 24 नवंबर 2024 को जब सर्वे किया गया, तो भीड़ बढ़ने लगी। पुलिस द्वारा रोके जाने के बावजूद लोग आगे बढ़ते गए, जिसके बाद पथराव और गोलीबारी की घटना हुई। इस हिंसा में चार युवक मारे गए और एक डिप्टी कलक्टर, एसपी, सीओ सहित दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। हिंसा के दौरान आधा दर्जन से अधिक वाहन जलाए गए और दुकानों और मकानों पर लगे सीसीटीवी कैमरे तोड़े गए।
सर्वे रिपोर्ट पर कोर्ट की कार्रवाई
सर्वे के बाद मस्जिद कमेटी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति दाखिल की गई थी, जिस पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट जाने का आदेश दिया था। मस्जिद कमेटी द्वारा समय पर पक्ष नहीं रखा गया, जिसके बाद 28 अप्रैल को सुनवाई की तारीख तय की गई थी, लेकिन कमेटी की ओर से पक्ष पेश न किए जाने के कारण सुनवाई की तारीख अब 3 जुलाई कर दी गई है।
हिंसा में आरोपितों की गिरफ्तारी और जमानत
हिंसा में 28 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से 80 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। आरोपितों की ओर से जमानत के लिए कोर्ट में 157 प्रार्थना पत्र दाखिल किए गए थे, लेकिन सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता हरिओम प्रकाश की दलीलों पर इन सभी जमानत प्रार्थना पत्रों को निरस्त कर दिया गया।
सर्वे रिपोर्ट में हुई देरी
सर्वे रिपोर्ट पहले 29 नवंबर 2024 को पेश की जानी थी, लेकिन एडवोकेट कमिश्नर ने स्वास्थ्य कारणों और अन्य कारणों से रिपोर्ट पेश करने में 49 दिन की देरी की। अंततः, 2 जनवरी 2025 को सर्वे रिपोर्ट सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में पेश की गई थी। अगली सुनवाई 3 जुलाई को
मस्जिद कमेटी द्वारा पक्ष न रखने के कारण अब इस मामले में अगली सुनवाई 3 जुलाई 2025 को होगी।