जानकारी के अनुसार नगर निगम में फायर मैन अनूप वर्मा ने अगस्त 2024 में अपना जीपीएफ निकाला था। मध्यांचल ग्रामीण बैंक में जीपीएफ अकाउंट से राशि निकालने के बाद वह जब 13 जनवरी को अपनी पास बुक में इंट्री करवाने पहुंचा तो भौचक रह गया। उसने जीपीएफ को 40 हजार रुपए निकाला था लेकिन पास बुक में 70 हजार रुपये निकाला जाना दिखा रहा था। जब पास बुक को गंभीरता से चेक किया तो पाया कि जिस तारीख को उसने 40 हजार रुपए निकाले थे उसके कुछ ही दिन बाद 30 हजार रुपए निकाल लिए गए थे।
बैंक वालों ने पहले खाताधारक पर ही खड़ी की उंगली फायरमैन अनूप जब इस मामले में बैंक मैनेजर के पास गया और सवाल किया कि मैं तो आया नहीं फिर किसने राशि निकाल ली। जिस पर बैंक से विड्रावल फार्म चेक करते हुए बताया कि आपके ही हस्ताक्षर पर राशि निकाली गई है। अनूप ने इस पर अपने हस्ताक्षर नहीं होना बताया। इसके बाद वह जीपीएफ शाखा में आकर इसकी जानकारी शाखा लिपिक अभिलाष श्रीवास्तव सहायक ग्रेड 3 को दी। उसने भी इसे दिखवाने की बात कहकर अनूप को चलता कर दिया।
कई अन्य लोगों के साथ भी ऐसा हुआ अनूप का मामला सामने आने के बाद यह बात निगम के कई नियमित कर्मचारियों तक फैलने लगी। इसके बाद कई लोगों ने अपने जीपीएफ खाते चेक करवाए तो पता चला कि उनके साथ भी ऐसा हुआ है। इस तरह फर्जीवाड़े के शिकार हुए कर्मियों की संख्या एक दर्जन के लगभग है।
इस तरह हो रहा था खेल सूत्रों की माने तो निगम में यह खेल जीपीएफ लिपिक अभिलाष श्रीवास्तव ही खेल रहा था। उसके द्वारा जीपीएफ निकालने का आवेदन मिलने पर तय प्रारूप के दो विड्रावल फार्म तैयार किए जाते थे। दोनों में कर्मचारियों के हस्ताक्षर करवाता था। एक फार्म आफिस कॉपी होना बताता था। इसके बाद अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर फार्म पास करवा लेता था। एक कॉपी कर्मचारी को दे देता था, जिससे कर्मचारी राशि निकाल लेता था। दूसरे फार्म से वह स्वयं बैंक कर्मी से मिलकर राशि निकालता था।
“मामला संज्ञान में आया है। इसकी विस्तृत जांच प्रारंभ कर दी गई है। 7 दिन में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा गया है। संबंधित लिपिक अभिलाष को निलंबित भी कर दिया गया है।“ – शेर सिंह मीना, निगमायुक्त