Rajasthan: बाघों को भाता यहां का जंगल… राजस्थान के अन्य टाइगर रिजर्व को आबाद करने में अहम योगदान
Tiger Reserves in Rajasthan: रणथम्भौर को बाघों की नर्सरी के नाम से जाना जाता है। रणथम्भौर ने प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व को बाघ-बाघिनों से आबाद किया है।
सवाईमाधोपुर। रणथम्भौर को बाघों की नर्सरी के नाम से जाना जाता है। रणथम्भौर ने प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व को बाघ-बाघिनों से आबाद किया है। बात करें आंकड़ों की तो अब तक 22 बाघ-बाघिन प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किए जा चुके हैं। ऐसे में रणथम्भौर को ही प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व को जीवन देने वाला कहा जा सकता है।
सबसे पहले टाइगर रिलोकेशन का काम 2008 में शुरू किया था। जब विभाग की ओर से बाघ विहीन हो चुके सरिस्का में एक बार फिर से बाघों को बसाने के लिए रणथम्भौर से बाघ-बाघिन को शिफ्ट किया गया था।
सरिस्का में शिफ्ट किए 11 बाघ-बाघिन
वन अधिकारियों ने बताया कि 2008 से अब तक रणथम्भौर से सरिस्का में कुल 11 बाघ-बाघिनों को शिफ्ट किया गया है। इसमें साल 2009 में सरिस्का में रणथम्भौर से पांच बाघ-बाघिनों को शिफ्ट किया गया था। वहीं 2010 में दो बाघों को भेजा गया था। वहीं 2018 में एक बाघ को रणथम्भौर से सरिस्का भेजा गया था, जहां पर उसकी मौत हो गई थी। इसके अलावा तीन अन्य बाघ-बाघिनों को भी सरिस्का शिफ्ट किया गया था।
रणथम्भौर से प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व के अलावा दो बाघों को बॉयोलोजिकल पार्क में भी शिफ्ट किया गया। सबसे पहले 2015-16 में रणथम्भौर में चार लोगों की जान लेने वाले बाघ टी-24 यानि उस्ताद को उदयपुर के सज्जनगढ़ बॉयोलोजिकल पार्क में शिफ्ट किया गया था। इसके बाद रणथम्भौर के खूंखार बाघ टी-104 को भी बॉयोलोजिकल पार्क में शिफ्ट किया गया था।
सरिस्का सहित मुकुंदरा और रामगढ़ विषधारी एवं अब धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व को आबाद करने में रणथम्भौर का ही योगदान है। हालांकि कुछ बाघ-बाघिनों को खूंखार होने के कारण यहां से शिफ्ट किया गया।
बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में अब तक बाघिन टी-102, टी-119 एवं हाल ही एरोहैड की मादा शावक को शिफ्ट किया है। इसके अलावा बाघ टी-115 स्वयं ही रणथम्भौर से निकलकर रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व पहुंच गया था।
मुकुंदरा में 6 बाघ-बाघिनों को भेजा
रणथम्भौर से मुकुंदरा मेें अब तक छह बाघ-बाघिनों को शिफ्ट किया गया है। हाल ही बाघिन एरोहैड की एक मादा शावक को शिफ्ट किया गया है। इसके अलावा पूर्व में एक बाघ टी-95 स्वयं ही रणथम्भौर से निकलकर मुकुंदरा में पहुंच गया था।