पेटी भरने के चक्कर में पेट भूल जाता है मनुष्यः मिश्रा
सध्या इंसान वही है जो किसी और के दर्द और तकलीफ को समझे तस्वीर और तकलीफ में अंतर है। तस्वीर में साथ खड़े होने वाले तकलीफ में साथ नहीं खड़े होते है। वर्द, विपत्ति और तकलीफ में तो भगवान शिव ही आपके साथ खड़ा होगा। शिव का द्वार ही ऐसा ही जहां आपकी तकलीफ का समाधान होगा। यह बात शुक्रवार को कथावाचक मंडित प्रदीप मिश्रा ने शिवमहापुराण को कथा सुनाते हुए कही। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का पेट भरने की जिम्मेदारी परमात्मा की होती है लेकिन पेटी भरने की जिम्मेदारी परमात्मा की नहीं होती है। भगवान ने पेट देकर भेजा है, इसलिए उसे भरना उसकी जिम्मेदारी है। परिवार दिया है इसलिए उसका पालन पोषण करनाभी उसकी जिम्मेदारी है। रिश्ते नाते दिए हैं तो उनका निर्वहन करन भी उसकी जिम्मेदारी है। भगवान ने पेटी नहीं दी थी तो उसे भरना भगवान की जिम्मेदारी नहीं है। व्यक्ति जब पेटी को मरने के चक्कर में लगता है तो वह पेट को भूल जाता है और पेटी को भरती-भरते शरीर व्यर्थ हो जाता है।