scriptधूप से बचने श्रद्धालुओं ने तान लिए चादर और शॉल के तंबू | Devotees stretched out tents of sheets and shawls to avoid the sun | Patrika News
सीहोर

धूप से बचने श्रद्धालुओं ने तान लिए चादर और शॉल के तंबू

चितावलियाहेमा स्थित मुरली मनोहर एब कुबेरेश्वर महादेव मंदिर पर शिवमहापुराण, रुद्राक्ष महोत्सव चल रहा है। महाशिवरात्रि के बाद 50 प्रतिशत श्रद्धालु अपने गंतव्य के लिए लौट चुके हैं, लेकिन अभी भी यहां करीब 70 से 80 हजार श्रद्धालु डटे हुए है। एक मार्च को फुलेरा दूज पर फिर से भीड़ की आशंका देखते हुए पुलिस […]

सीहोरMar 01, 2025 / 11:27 am

Kuldeep Saraswat

sehore news
चितावलियाहेमा स्थित मुरली मनोहर एब कुबेरेश्वर महादेव मंदिर पर शिवमहापुराण, रुद्राक्ष महोत्सव चल रहा है। महाशिवरात्रि के बाद 50 प्रतिशत श्रद्धालु अपने गंतव्य के लिए लौट चुके हैं, लेकिन अभी भी यहां करीब 70 से 80 हजार श्रद्धालु डटे हुए है। एक मार्च को फुलेरा दूज पर फिर से भीड़ की आशंका देखते हुए पुलिस ने पहले से इंतजाम किए हुए हैं। पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शुक्ला ने बताया कि इंदौर-भोपाल स्टेट हाइवे रोज रात को खोला जा रहा है। आगे भीड़ में वृद्धि नहीं हुई तो व्यवस्था ऐसी ही रहेगी। कुबेरेश्वर धाम में अभी शिवरात्रि की तुलना में 50 फीसदी लोग है। शिवमहापुराण कथा और रुद्राक्ष महोत्सव के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था देखने को मिल रही है, स्थिति यह है कि लोग धूप में बैठकर कथा सुन रहे हैं। कुछ श्रद्धालुओं तो शुक्रवार को शॉल, चादर के तंबू बनाकर कथा सुनते दिखाई दिए। यह धार्मिक अनुष्ठान 3 मार्च तक चलेगा। कया स्थल के तीनों डोम फुल है, श्रद्धालुओं के लिए भोजन व्यवस्था चल रही है। दो मार्च की कुबेरेश्वर धाम में भजन संख्या का आयोजन होगा। सुबह अभिषेक और 1 से 4 बजे तक शिवमहापुराण कथा सुनाई जा रही है।

पेटी भरने के चक्कर में पेट भूल जाता है मनुष्यः मिश्रा

सध्या इंसान वही है जो किसी और के दर्द और तकलीफ को समझे तस्वीर और तकलीफ में अंतर है। तस्वीर में साथ खड़े होने वाले तकलीफ में साथ नहीं खड़े होते है। वर्द, विपत्ति और तकलीफ में तो भगवान शिव ही आपके साथ खड़ा होगा। शिव का द्वार ही ऐसा ही जहां आपकी तकलीफ का समाधान होगा। यह बात शुक्रवार को कथावाचक मंडित प्रदीप मिश्रा ने शिवमहापुराण को कथा सुनाते हुए कही। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का पेट भरने की जिम्मेदारी परमात्मा की होती है लेकिन पेटी भरने की जिम्मेदारी परमात्मा की नहीं होती है। भगवान ने पेट देकर भेजा है, इसलिए उसे भरना उसकी जिम्मेदारी है। परिवार दिया है इसलिए उसका पालन पोषण करनाभी उसकी जिम्मेदारी है। रिश्ते नाते दिए हैं तो उनका निर्वहन करन भी उसकी जिम्मेदारी है। भगवान ने पेटी नहीं दी थी तो उसे भरना भगवान की जिम्मेदारी नहीं है। व्यक्ति जब पेटी को मरने के चक्कर में लगता है तो वह पेट को भूल जाता है और पेटी को भरती-भरते शरीर व्यर्थ हो जाता है।

Hindi News / Sehore / धूप से बचने श्रद्धालुओं ने तान लिए चादर और शॉल के तंबू

ट्रेंडिंग वीडियो