घर का खर्च चलाने के लिए वह भी अपने पति के साथ मजदूरी का कार्य करती थीं, लेकिन कई बार काम न मिलने से खाली हाथ घर आना पड़ता था। वह बताती है कि उन्हें स्थानीय ग्रामीणों से आजीविका मिशन के अंतर्गत बन रहे स्व-सहायता समूह के बारे में पता चला तब गीता ने आजीविका मिशन कार्यकर्ता से मिलकर समूह के बारे में जानकारी ली और समूह से जुडऩे के फायदे के बारे में जाना। गीता ने अपने गांव में स्व-सहायता समूह बनाने का निर्णय लिया और गांव की महिलाओं को समूह के महत्व और उपयोगिता के बारे में बताते हुए 12 महिलाओं के साथ मिलकर सरस्वती स्व-सहायता समूह का गठन किया।
गीता काफी सक्रिय महिला थीं इसलिए समूह के सदस्यों ने मिलकर उनको समूह का अध्यक्ष बनाया और अपने समूह से 25 रुपए प्रति सप्ताह बचत करना तय किया। समूह का बचत खाता मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक में खुलवाया और समूह की होने वाली बचत बैंक में जमा करना शुरू किया और फिर समूह को आजीविका मिशन के तहत 12 हजार रुपए रिवॉल्विंग फंड की राशि मिली। इसके बाद मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक की शाखा उगली ने समूह की प्रबंधन स्थिति एवं आवश्यकता को देखते हुए समूह को नकद सीमा की स्वीकृति देते हुए एक लाख रुपए की राशि ऋ ण के रूप में दी गई।
गीता के जीवन में बडा परिवर्तन
आजीविका मिशन के सदस्यों की समझाइश पर मत्स्य विभाग के माध्यम से मछली पालन के प्रशिक्षण प्राप्त करने से आया। वह बताती हंै कि मत्स्य पालन का प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्होंने प्रोत्साहित होकर मत्स्य बीज एवं अन्य उपकरणों के लिए समूह से 40 हजार रुपए का ऋ ण प्राप्त किया तथा अपने ग्राम के ही तालाब को पट्टे पर लेकर अपने पति के साथ मत्स्य पालन का कार्य प्रारंभ किया गया। इस कार्य में उन्हें सफलता प्राप्त हुई और मत्स्य पालन गतिविधि से उनकी पारिवारिक आय में लगातार बढोत्तरी होने लगी। जिससे प्रोत्साहित होकर उन्होंने अपने तालाब मे मछली पालन के साथ-साथ कमल के फूल की खेती करने का निर्णय लिया। थोड़े ही समय में कमल के फूल एवं कमल गट्टे का उत्पादन प्रारंभ हो जाने से उन्हें अतिरिक्त आय भी होने लगी।
गीता ने अपनी आय से ग्राम उगली में पक्का मकान बना लिया है। अब गीता को मजदूरी करने नहीं जाना पड़ता है। वह सामाजिक कार्यों में सक्रिय रही हैं और समाज कल्याण के कार्यों में भी भागीदारी करती रहती हैं। गीता अन्य समूहों के लिए एक मिशाल बन गई है। वह कमल के फूल की खेती के विषय आस-पास के ग्रामों के समूहों को प्रशिक्षण भी दे रही हंै। गीता एवं उनके परिवार के जीवन में आए इस सकारत्मक परिवर्तन से दूसरी महिलाएं प्रेरणा ले रही हैं।