घटना सामने आने के बाद अभिभावकों ने स्कूल पहुंचकर आपत्ति जताई, लेकिन शिक्षिका ने आरोपों से इनकार कर दिया। मामले पर एमपी कांग्रेस और विधानसभा नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रशासन से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। हालांकि, नजातीय कार्य विभाग की जांच के बाद शिक्षिका को निलंबित कर दिया गया है।
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वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि शिक्षिका सुजाता मड़के पहले एक बेंच पर बैठी हैं और छात्राएं उनके पैर दबा रही हैं। दूसरे वीडियो में वह जमीन पर दरी पर बैठी हुई हैं, जहां एक किताब उनके पैरों पर रखी हुई है और छात्राएं उनके पैर दबा रही हैं। यह पूरा घटनाक्रम कक्षा में लगे सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गया, जिसके बाद यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। तीसरे वीडियो में छोटी बच्चियां रोते हुए नजर आ रही हैं।
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जब यह वीडियो सामने आया, तो छात्राओं के अभिभावकों ने स्कूल पहुंचकर शिक्षिका से जवाब मांगा। इसके जवाब में शिक्षिका भड़क गईं और आरोपों से इनकार कर दिया। शिक्षिका ने अभिभावकों से कहा कि ‘अगर इस मामले में कोई कार्रवाई होगी, तो मेरा ट्रांसफर से ज्यादा क्या हो जाएगा।’ उनके इस बयान के बाद अभिभावकों में और आक्रोश बढ़ गया है।
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इस मामले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे आदिवासी छात्राओं का शोषण बताया और सरकार को घेरते हुए सवाल उठाया कि पहले भी निलंबित हो चुकी शिक्षिका को दोबारा नियम विरुद्ध प्रतिनियुक्ति क्यों दी गई। एमपी कांग्रेस ने भी इस घटना को शर्मनाक बताते हुए अपने एक्स हैंडल पर वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा कि ‘देवी समान बेटियों का अपमान, भाजपा राज की बनी पहचान।’
जांच के बाद शिक्षिका निलंबित
वीडियो वायरल होने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों ने मामले को संज्ञान में लिया और जांच के बाद शिक्षिका को निलंबित कर दिया गया है। मामला संज्ञान में आने पर जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त ने मंडल संयोजक को जांच करने के आदेश जारी किए। जांच के आधार पर शिक्षिका को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।