बच्चे का विकसित नहीं हुआ था मलद्वार
दरअसल,
अनूपपुर के बदरा निवासी सुधीर चौधरी ने अपनी पत्नी अंजलि को डिलीवरी के लिए मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया था। तीन दिन पहले अंजलि की ऑपरेशन के जरिए डिलीवरी की गई। डिलीवरी करने के बाद नर्स स्टाफ और डॉक्टर ने बच्चे के शारीरिक परीक्षण नहीं किया। माता-पिता भी इस बात से अनजान रहे। हालांकि, जब बच्चे ने दो दिन तक मल त्याग नहीं किया तो उन्हें घबराहट होने लगी। उन्होंने देखा कि बच्चे का पेट फूल रहा है और उसकी तबियत भी खराब हो रही है।
माता-पिता ने डॉक्टरों से बात कर बच्चे को आईसीयू में भर्ती किया गया। जब बच्चे की जांच की गई तो उन्हें पता चला कि नवजात के शरीर में मलद्वार (Anus) विकसित नहीं हुआ है। इसके बाद आनन-फानन में बच्चे को जबलपुर के लिए रेफर कर दिया गया। अभी बच्चे का इलाज जबलपुर मेडिकल कॉलेज में चल रहा है।
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नवजात के पिता सुधीर चौधरी ने शहडोल मेडीअक्ला कॉलेज पर लापरवाही करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अगर डिलीवरी के दिन समस्या का पता चल जाता, तो उसी समय वह बच्चे को जबलपुर ले जाते। पिता ने नर्सिंग स्टाफ एवं डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि बच्चा जब पैदा हुआ, तो उसके कुछ घंटे तक जब उसने मल त्याग नहीं किया, जिसके बाद हमने इसकी जानकारी स्टाफ को दी, लेकिन स्टाफ के द्वारा हमारी बात को अनसुना किया।
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इस मामले में मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. नागेंद्र सिंह का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा है कि ‘कभी-कभार कुछ नवजातों में ऐसी शारीरिक विकृतियां हो जाती हैं। यह आवश्यक है कि प्रसव के बाद पूरी तरह से परीक्षण किया जाए।’ उन्होंने कहा कि ‘यदि इस मामले में ऐसा नहीं हुआ तो जानकारी लेकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।’