विशिष्ट अतिथि प्रो. प्रमोद पाण्डेय ने शोध की प्रक्रिया, उसकी संरचना और गुणवत्ता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने शोध के दौरान आने वाली चुनौतियों तथा उनसे निपटने के उपायों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शोध एक सतत प्रक्रिया है जो केवल पुस्तकालयों या लैब तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक यथार्थ से भी जुड़ी होती है। कार्यक्रम की संयोजक प्रो. सुनीता बाथरे ने पीएचडी कोर्स वर्क की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि कोर्स वर्क में शोध पद्धति, शैक्षणिक लेखन, आंकड़ों का विश्लेषण, शोध नैतिकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों को सम्मिलित किया गया है, जिससे शोधार्थियों की बौद्धिक क्षमता और शोध कौशल का विकास हो सके। इस अवसर पर सह संयोजक डॉ. पूर्णिमा शर्मा, डॉ. संतोष पुरी, डॉ मनीषा तिवारी, डॉ चेतना सिंह, परिसर प्रभारी प्रो गीता सराफ, डॉ गंगाधर ढ़ोके, प्रो नीलिमा खरे, डॉ गणेश सैंड्या, डॉ अंजनी सूर्यवंशी सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के संकाय सदस्य, शोध मार्गदर्शक, नवप्रवेशी शोधार्थी एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।