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श्योपुर

सावधान! Reels देखने से हो रही नई मानसिक बीमारी, हर उम्र के लोगों बना रही शिकार

mental illness: यह एक ऐसी बीमारी है जो आपके रिश्तों और आपको मानसिक रूप से खोखला कर सकती है। इस बीमारी की चपेट में लगभग हर उम्र के लोग आ रहे हैं।

श्योपुरApr 24, 2025 / 01:48 pm

Akash Dewani

New mental illness digital depression is happening by watching reels to people of all ages mp
mental illness: माता-पिता बच्चों को स्क्रीन से दूर रहने की नसीहत देते हैं, लेकिन वे खुद देर रात तक बिस्तर पर लेटे-लेटे रील्स स्क्रॉल करते देखे जा सकते हैं। यह आदत न केवल उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाल रही है, बल्कि पारिवारिक रिश्तों को भी खोखला कर रही है। ऐसे में न केवल स्वयं मोबाइल के ज्यादा उपयोग के प्रति सचेत हों, बल्कि बच्चों को भी लगातार सचेत करें, अन्यथा मोबाइल एडिक्शन मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ना तय है। इससे एक नई मानसिक बिमारी का जन्म हुआ है जिसे डिजिटल डिप्रेशन (digital depression) कहते है। इसकी चपेट में लगभग हर उम्र के लोग आ रहे है।

क्या है डिजिटल डिप्रेशन

डिजिटल डिप्रेशन (digital depression) एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति डिजिटल उपकरणों और सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग के कारण मानसिक और भावनात्मक तनाव का अनुभव करता है। यह सोशल मीडिया पर दूसरों के साथ खुद की तुलना करने, नकारात्मक सूचनाओं के लगातार संपर्क में रहने, और अपनी डिजिटल डिवाइस से दूर रहने के डर से जुड़ा हो सकता है। इसे डिजिटल थकान या डिजिटल ओवरलोड के रूप में भी जाना जाता है।
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डिजिटल डिप्रेशन के लक्षण

25 साल तक के युवा इंस्टाग्राम, यूट्यूब और ऑनलाइन गैस में घंटों बिता रहे हैं। 25 से 50 साल तक के लोग वेबसीरिज और ऑनलाइन शॉपिंग में फंसे हैं। वहीं बुजुर्ग भी अब वाट्‌सऐप, फेसबुक और रील्स की दुनिया में खो गए हैं। विशेषज्ञों का कह‌ना है कि मोबाइल की लत अब केवल आदत नहीं, गंभीर समस्या बन गई है। नींद की गुणवत्ता घट रही है, थकावट और चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है। रिश्ते कमजोर हो रहे हैं और मानसिक संतुलन बिगड़ रहा है। आंखों पर भी असर पड़ रहा है।

क्या कहते है एक्सपर्ट

श्योपुर जिला अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉ. गायत्री मित्तल ने बताया कि ‘अभी के समय में डिजिटल डिसिप्लिन जरूरी है। मोबाइल एडिक्शन की स्थिति बढ़ रही है, ऐसे में अब सिर्फ समझाने से काम नहीं चलेगा। परिवारों को नो-फोन टाइम, नो-रील डेज और स्क्रीन फ्री जोन जैसी नीतियां अपनानी होंगी। इसके लिए डिजिटल डिसिप्लिन जरूरी है। अन्यथा की स्थिति में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़‌ना तय है।’

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