इस दिव्य दरबार में लोगों की संख्या एक लाख के पार भी हो सकती है। इसके लिए पुलिस प्रशासन ने काफी व्यवस्था की है और सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम है। इस दिव्य दरबार के बाद कन्याओं के विवाह का कार्यक्रम व अन्य आयोजन भी किए जाएगें।
निंदा उसी की होती है, जो जिंदा है
अगर तुम्हारी कोई निंदा करे तो उसका बुरा नहीं मानना। अरे निंदा तो उसी की होती है जो जिंदा है। मरे हुए व्यक्ति के बारे में कोई बात नहीं करता। इसलिए सबकुछ भूलकर केवल भगवान की भक्ति करें। यह बात करैरा में बाबा के बाग बगीचा धाम पर चल रही भागवत कथा के दौरान बागेश्वर धाम के महंत धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने तीसरे दिन कही। इस दौरान पांडाल में करीब 70 हजार श्रद्धालु कथा श्रवण कर रहे थे। कथा में शास्त्री ने बताया कि एक भक्त विजय सिंह ने पत्र लिखकर उनसे सवाल किया कि हमे भगवान की शरण क्यों लेना चाहिए। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि जिस तरह बारिश से बचने के लिए छाते की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार बाहर की विपदाओं से बचने के लिए भगवान की छत्र छाया लेकर निकलना बहुत जरूरी है। जो भगवान की शरण में रहता है,उसका कोई कुछ बुरा नहीं कर सकता।
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धीरेन्द्र शास्त्री ने एक प्रसंग याद करते हुए बताया कि एक बार भगवान कृष्ण ने नारद मुनि से कहा कि मेरे पेट में दर्द हो रहा है। इस पर नारद ने भगवान से पूछा आप बताओ इसकी क्या दवाई है, वह ले आएगें। इस पर ठाकुर जी ने कहा कि वह अपने भक्तों के चरण की रज(धूल) ले आए और उस रज को पेट पर लगाने से यह पेट दर्द सही हो जाएगा।
नारद जी तीनो लोको में काफी घूमे लेकिन उनको कोई ऐसा नहीं मिला जो यह रज देने को तैयार हो। आखिर में जब नारद परेशान होकर वृंदावन पहुंचे और वहां पर वह घूम रहे थे, तब उनको कुछ गोपियां मिलीं, तो गोपियों ने नारद जी से परेशान होने का कारण पूछा तो नारद ने पूरा किस्सा गोपियां को सुनाया।
यह सुनकर गोपियां तुरंत अपने पैरो को मल-मल कर एक-एक मुठ्ठी रज नारद को देने लगी। इस पर नारद ने बोला कि ऐसा करने से तुम लोग नरक में जाओंगे, क्योंकि वह भगवान हैं और तुहारे चरणों की रज उनको लगेगी। इस पर गोपियों ने कहा कि हम एक बार नहीं हजार बार नर्क में चली जाएं, लेकिन हमारे ठाकुर जी को कोई परेशानी नहीं होना चाहिए। हमारे पैरों की रज से उनका पेट दर्द सही होता है तो हम ऐसा करने के लिए तैयार हैं। नारद जी गोपियों के पैरों की रज लेकर ठाकुर जी के पास पहुंचे और जैसे ही वह रज ठाकुर जी ने अपने पेट से लगाई तो वह दर्द तुरंत सही हो गया।