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हॉकी वाले स्कूलों को नहीं मिली स्टिक, क्रिकेट खिलाड़ी नहीं होने पर भी गर्ल्स स्कूलों को मिल गए बैट- बॉल

जहां दांत है, वहां चने नहीं, जहां चने हैं, वहां दांत नहीं” ये प्रसिद्ध कहावत इन दिनों सरकारी स्कूलों में सटीक बैठ रही है।

सीकरApr 13, 2025 / 10:27 pm

Sachin

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प्रतीकात्मक फोटो

सीकर. जहां दांत है, वहां चने नहीं, जहां चने हैं, वहां दांत नहीं” ये प्रसिद्ध कहावत इन दिनों सरकारी स्कूलों में सटीक बैठ रही है। राज्य सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों को जारी स्पोर्ट्स किट में घोटाले के साथ ये विसंगति भी सामने आई है। दरअसल, कॉमन किट में एक तरफ हॉकी, जूड़ो व बॉक्सिंग सहित कई खेल के सामान शामिल नहीं होने से इन खेलों वाले स्कूलों के लिए किट काम का नहीं रहा है। दूसरी तरफ बहुत सी स्कूलों में मैदान व उसके खिलाड़ी नहीं होने से उन्हें मिला सामान अनुपयोगी हो गया है। ऐसे में हल्की गुणवत्ता के साथ किट की उपयोगिता पर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं।

यूं समझें मामला

सीकर की राउमावि बावड़ी, रींगस, लाखनी, दादिया रामपुरा, कोटडी धायलान, होद, लापुवा, नांगल भीम, मोरडूंगा सहित कई स्कूलों में हॉकी प्रमुख खेल है, लेकिन किट में हॉकी की स्टिक व बॉल सहित कोई सामग्री नहीं है। इसी तरह शहर की राउमावि राधाकिशनपुरा, बालिका कूदन, पिपराली सहित सैंकड़ों स्कूलों में क्रिकेट के खिलाड़ी और मैदान दोनों नहीं होने पर भी उन्हें किट में क्रिकेट के बैट व अन्य सामान मिल गए। लिहाजा किट की उपयोगिता भी सवालों से घिर गई है।

स्कूल गेम्स में शामिल ये सामान नहीं

स्पोर्ट्स किट में कई स्कूल खेलों का सामान शामिल नहीं है। मसलन, लॉन टेनिस, नेटबॉल, सॉफ्टबॉल, रग्बी फुटबॉल, टेबल टेनिस, जूड़ो, सेपक टकरा, बॉक्सिंग, वूशू, रोलर स्केटिंग, वेटलिफ्टिंग, राइफल शूटिंग, तीरंदाजी, योग, ताइक्वांडो, साइकलिंग, कुश्ती व जिमनास्टिक का कोई सामान नहीं है।

एक्सपर्ट व्यू

स्कूलों को बजट देना ज्यादा सहीस्कूलों को किट की बजाय स्पोर्ट्स का बजट देना ही ज्यादा सही है। इससे स्कूल अपने खिलाड़ियों व खेल मैदान को ध्यान में रखते हुए आवश्यकतानुसार खेल का सामान खरीद सकते हैं। सामान की गुणवत्ता व उपयोगिता दोनों बनी रहने की संभावना भी ज्यादा रहेगी। वर्तमान में जारी हुए किट का सामान तो धूल फांकता हुआ ही ज्यादा नजर आने की आशंका है।
रामचंद्र पिलानियां, सेवानिवृत सीडीईओ, सीकर।

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